सूरजकुंड मेले में आए विदेशी व्यापारियों को लोग धोखे से पुराने नोट पकड़ा जा रहे हैं. 8 नंवबर 2016 में पीएम मोदी की काले धन पर नकेल कसने की पहल ने पूरे देश को हिला दिया. नोट बदलने के लिए बैंकों के बाहर लंबी कतारों और एटीएम में नकदी न होने की वजह से शुरुआत में लोगों को थोड़ी दिक्कत जरुर हुई, लेकिन धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो गईं. लोगों ने राहत की सांस ली और नोटबंदी की वजह से उथल-पुथल हुई लोगों की जिंदगी धीरे धीरे पटरी पर लौट आई. प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से कैशलेस होने की अपील की, लेकिन नोटबंदी के इतने दिनों बाद भी देश पूरी तरह 'कैशलेस' नहीं हो पाया है. इसका असर फरीदाबाद में शुरु हुए साल के सबसे बड़े हैंडीक्राफ्ट मेले सूरजकुंड मे देखा जा सकता है.
हर साल होने वाले सूरजकुंड मेले में इस बार अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, बेलारूस, कज़ाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे 20 देश हिस्सा ले रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई व्यापारी ऐसे थे, जिनको भारत में लागू हुई नोटबंदी के बारे में पता ही नहीं था. टुनिशिया से आए व्यापारी ने बताया-'नोटबंदी के बारे में मुझे पता ही नहीं था, दो दिन पहले जब मैं इंडिया आया, तब मेरे दोस्तों ने बताया की 500 और हज़ार के नोट बंद हो गए हैं, और तो और मेरे दोस्त से किसी ने बैग खरीदा और बदले में पुराने तीन 500 के नोट दे गया. बाद में हमें पता चला कि ये नोट इंडिया में किसी काम का नहीं हैं.
वहीं थाईलैंड से आए व्यापारी किम ने बताया- 'मैं पहली बार इस फेयर में आया हूं, न्यूज़ में देखा था नोटबंदी के बारे में. हमें किसी भी तरह की कोई सुविधा नही दी गई है जिससे हम कार्ड एक्सेप्ट कर सकें, इसीलिए हम ग्राहकों से सिर्फ कैश ही ले रहे हैं'. दूसरी बार सूरजकुंड मेले में हिस्सा लेने खासतौर से नेपाल से आए अजय ने बताया- 'मेरी बहन जयपुर में पढ़ती है, मैने उसे बुलाया है यहां, क्योंकि हमें पता नहीं कि पेटीएम कैसे चलाते हैं. लोग मोलभाव करते हैं. पिछली बार के मुकाबले इस बार हमारी ज्यादा सेल नहीं हुई है, अभी भीड़ भी उतनी नहीं है'. नोटबंदी पहल ने विदेशी कारोबारियों के व्यापार पर थोड़ा असर जरूर डाला है जिससे ये थोड़े मायूस जरूर हैं, फिर भी इनको उम्मीद है कि 15 दिन तक चलने वाले इस हैंडीक्राफ्ट के महाकुंभ के आने वाले दिनों में सेल जरूर बढ़ेगी.