लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधे बंद थे. बाजारों में भी सन्नाटा पसरा था. ट्रेन और बस सेवाएं भी बंद होने के कारण प्रवासी मजदूरों के सामने रोटी का संकट उत्पन्न हो गया. बड़ी तादाद में हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में फंसे मजदूर घर लौटना तो चाहते थे, लेकिन ट्रेन और बस बंद होने के कारण नहीं लौट पाए. वहीं, बड़ी तादाद ऐसे श्रमिकों की भी रही, जो पैदल ही अपने घर के लिए चल दिए.
अब सरकार ने लॉकडाउन 3.0 में औद्योगिक गतिविधियां शुरू करने की इजाजत दे दी है, तब भी प्रवासी मजदूरों का पलायन नहीं थम रहा. पंजाब में फंसे लगभग छह लाख प्रवासी अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश लौटना चाहते हैं. इनमें से अधिकतर मजदूर तबके के हैं. वहीं हरियाणा में भी लगभग दो लाख प्रवासियों ने खट्टर सरकार से राज्य के बाहर जाने की अनुमति मांगी है. इनमें भी बड़ी तादाद मजदूरों की है.
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पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने मजदूरों को भरोसा दिलाया है कि उनको सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. इसके लिए ट्रेन का प्रबंध किया जा रहा है. टिकट के पैसे उन्हें खुद देने पड़ेंगे. हरियाणा के गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हमारी सरकार ने मजदूरों को सुरक्षित वापस भेजने का फैसला किया है. इसके लिए रेलवे से बातचीत की जा रही है और जैसे ही ट्रेन की व्यवस्था होगी, मजदूरों को वापस उनके राज्य भेज दिया जाएगा.
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उन्होंने बताया कि अगले दो हफ्ते तक पड़ोसी राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से सटी सीमा सील रखने का निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय सीमाओं पर पुलिस के अलावा स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीमें भी तैनात की हैं, जो राज्य में प्रवेश करने वाले प्रत्येक नागरिक की स्क्रीनिंग कर रही हैं. किसी को भी स्क्रीनिंग के बाद ही प्रदेश में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है.
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लॉकडाउन 3.0 के पहले दिन भी मजदूरों के पलायन का सिलसिला जारी रहा. हिमाचल प्रदेश के बद्दी से बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बाराबंकी जाने के लिए निकल पड़े हैं. इन मजदूरों ने पलायन का कारण काम नहीं मिलने को बताया.