लॉकडाउन की वजह से हर किसी की जिंदगी थमी हुई है. इसमें नवजात बच्चे भी शामिल हैं. दरअसल मार्च से चल रहे लॉकडाउन की वजह से गुजरात के आणंद शहर में 27 बच्चों का सरोगेसी के माध्यम से जन्म हुआ है, वे अब अपने माता-पिता का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि आणंद को सरोगेसी का हब माना जाता है.
आणंद में लॉकडाउन के दौरान सरोगेसी से जन्मे 10 बच्चों के माता-पिता अस्पताल पहुंच पाए हैं, जबकि 17 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता अब तक अपने बच्चों को देखने के लिए पहुंच नहीं पाए हैं. ऐसे बच्चों का ख्याल अभी तक हॉस्पिटल के स्टाफ नर्स और डॉक्टर ही रख रहे हैं. इनमें कुछ बच्चे जो मार्च महीने में जन्मे थे, वे अब दो महीने से ज्यादा की उम्र के हो चुके हैं.
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आणंद में सरोगेसी के लिए जो युगल आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर गुजरात के बाहर के हैं और उन्हें इस समय सफर करने की अनुमति नहीं मिल रही है. लॉकडाउन के कारण लोग यहां आ-जा नहीं सकते. उन्हें राज्य या केंद्र के दिशा-निर्देशों का पालन करना पड़ रहा है. सरकार और स्थानीय प्रशासन की मंजूरी मिलने के बाद ही बच्चों के माता-पिता वहां जा पाएंगे. डॉक्टर नयना पटेल के अस्पताल में भी कुछ बच्चे पैदा हुए हैं. डॉक्टर पटेल का कहना है कि बच्चों को लेकर हर चीज का ख्याल रखा गया है. जो नर्स बच्चों के साथ रहती है, उसे पूरी तरह से आइसोलेट रखा जाता है.
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बता दें, लॉकडाउन के कारण सरोगेसी में पैदा हुए 27 नवजात बच्चे अस्पताल में ही फंसे हुए हैं. इन बच्चों को अपने जैविक माता-पिता से मिलने का इंतजार है. उधर माता-पिता भी अपने बच्चों को देखना चाहते हैं लेकिन लॉकडाउन ने उनका रास्ता रोक रखा है. ये माता-पिता अपने बच्चों का हाल जानने के लिए डॉ. नयना पटेल से घंटों बात करते हैं. कोरोना वायरस के इस मुश्किल वक्त में अस्पताल का स्टाफ बच्चों की देखभाल कर रहा है. प्रशासन भी इस काम में अस्पताल की मदद कर रहा है.