विश्व में एशियाटिक शेरों के ठिकाने के लिए मशहूर गिर के जंगलों में अब 27 साल बाद बाघ होने की पुष्टि गुजरात सरकार के जरिए की गई है. पंचमहल जिले के लुनावाडा के जंगलों में लगाए गए सीसीटीवी में बाघ को देखा गया है. इससे गुजरात का वन विभाग उत्साहित नजर आ रहा है.
कुछ दिनों पहले इसी इलाके के महिसागर स्कूल में टीचर महेश मेहरा ने 6 फरवरी को बोरिया गांव से गुजरते समय एक बाघ को अपनी गाड़ी के पास देखा था. स्थानीय लोगों ने यहां पहले भी बाघ देखने की बात कही थी लेकिन उसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी. बाघ की तस्वीरों को महेश ने कुछ दिन पहले अपने कैमरे में कैद किया था जिसके बाद वन विभाग को ये तस्वीर जानकारी के साथ दी गईं.
इलाके में बाघ होने की पुष्टि
इसके बाद वन विभाग ने पैरों और चमड़ी के मिले निशानों के आधार पर जांच की तो लगा कि हो सकता है ये बाघ हो. वन विभाग ने इसकी पुष्टि के लिए माइक्रो सेंसेटिव नाइट विजन कैमरे को इस पूरे इलाके में लगाया. बाद में जब कैमरे में मौजूद फुटेज की जांच की गई तो उसमें सोमवार-मंगलवार के दरम्यान रात एक बाघ को देखा गया. तब जाकर वन विभाग ने इस इलाके में बाघ होने की पुष्टि की.

माना जा रहा है कि बाघ अकेला है
वन और पर्यावरण मंत्री गनपत वसावा के मुताबिक, बाघ की उम्र 7 से 8 वर्ष की है. ये बाघ अकेला है या इसका पूरा परिवार यहां रह रहा है, इसकी जांच वन विभाग के जरिए की जा रही है. फिलहाल ये माना जा रहा है कि ये बाघ अकेला दिखा है. इस वजह से ये माना जा रहा है कि यह बाघ राजस्थान, मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र से आया हो सकता है.
यहां से निकलते समय सावधानी बरतने की अपील
गुजरात सरकार के जरिए इस बात की जानकारी बाघ को लेकर काम करने वाली संस्था नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भी दे दी गई है. साथ ही यहां रहने वाले स्थानीय लोगों को भी ये जानकारी दी जा रही है कि बाघ इस इलाके में हैं, यहां से निकलते समय सभी सावधानी बरतें.
27 साल बाद एक बार फिर दिखा बाघ
गौरतलब है कि साल 1989 में सीमावर्ती इलाके में बाघ दिखने के बाद अब फिर से गुजरात में बाघ की मौजूदगी की तस्वीर सामने आई है. 27 साल बाद एक बार फिर बाघ दिखने से स्थानीय लोग भी काफी उत्साहित हैं.