गुजरात के मोरबी हादसे ने पूरे देश को अंदर तक झकझोर दिया है. बिना किसी गलती के 135 मासूम लोगों ने अपनी जान गंवाई है. पुलिस और जांच एजेंसी द्वारा मामले की जांच शुरू कर दी गई है, कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है और अब कुछ खुलासे होते भी दिख रहे हैं. ये खुलासे उस ओरेवा कंपनी पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं जिसे मोरबी केबल ब्रिज के रिनोवेशन का काम सौंपा गया था.
पैसों के लालच ने करवाया हादसा?
अब पुलिस जांच में एक बड़ी बात सामने आई है. जिस ओरेवा कंपनी ने अक्टूबर में ही सस्पेंशन ब्रिज को लोगों के लिए खोल दिया था, असल में ब्रिज खोलने का टाइम दिसंबर था. पुलिस के मुताबिक कंपनी को रिनोवेशन के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया था. लेकिन क्योंकि दिवाली आ रही थी, त्योहार पर ज्यादा पैसे कमाने की उम्मीद थी, इसी वजह से ब्रिज को समय से पहले लोगों के लिए खोल दिया गया. अब इसे भी 135 लोगों की जान जाने की बड़ी वजह माना जा रहा है.
खराब मटेरियल, जल्दबाजी, हादसे के ये कारण
जांच में दावा तो ये भी किया गया है कि ब्रिज के रिनोवेशन में जिस मटेरियल का इस्तेमाल किया गया था, वो अच्छी क्वालिटी का नहीं था. जिन केबल को ब्रिज खोलने से पहले बदलना चाहिए था, वो काम भी कॉन्ट्रैक्टर द्वारा नहीं किया गया. ऐसे में पुलिस की जांच एक बड़ी लापरवाही की ओर इशारा कर रही है. ये लापरवाही ओरेवा कंपनी की ओर से भी हुई है और उन्हें ठेका देने वाले लोगों से भी. ओरेवा कंपनी पर तो ये भी आरोप लगा है कि उसकी तरफ से एक बार भी ब्रिज खोलने से पहले एक्सपर्ट्स की राय नहीं ली गई. ब्रिज कितनी क्षमता झेल पाएगा, इसकी हकीकत सामने ही नहीं आई पाई. हैरानी की बात ये भी है कि जिस ओरेवा कंपनी पर हादसे के बाद इतने गंभीर आरोप लग रहे हैं, उसे 2007 में भी इसी ब्रिज का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. तब भी उसे रिनोवेशन का काम सौंपा गया था.
इस बारे में आजतक से बात करते हुए मोरबी के एसपी ने कहा था कि हम इस मामले की हर पहलू से जांच कर रहे हैं. शुरुआत से लेकर हादसे वाले दिन तक, हर पहलू की बारीकी से जांच हो रही है. जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. किसी को भी बचाने की या राहत देने का काम नहीं होगा. अब पुलिस तो हर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रही है, लेकिन जिन लोगों की अभी तक गिरफ्तारी हुई है, वो ही पुलिस का जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
देव प्रकाश फेब्रिकेशन का डील में क्या हाथ?
पुलिस की जो रिमांड कॉपी सामने आई है, उसमें जोर देकर कहा गया है कि कोई भी आरोपी जांच में अपना सहयोग नहीं दे रहा है. रिपेयरिंग को लेकर भी किसी की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. सभी एक दूसरे को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं. रिमांड कॉपी में देव प्रकाश फेब्रिकेशन के नाम का भी जिक्र किया गया है. कहा गया है कि 2022 में भी ओरेवा कंपनी को सस्पेंशन ब्रिज के रिनोवेशन का काम तो दिया गया था, लेकिन देव प्रकाश फेब्रिकेशन के साथ क्रॉस टेंडर भी हुआ था. अब देव प्रकाश फेब्रिकेशन कैसे इस डील में शामिल हुई, पुलिस इसकी अभी जांच कर रही है.
कौन-कौन अब तक गिरफ्तार हुआ है?
मोरबी पुलिस घटना वाले दिन की भी विस्तृत जांच कर रही है. उसकी तरफ से घटनास्थल से सभी सीसीटीवी फुटेज और डीवीआर इकट्ठा कर लिए गए हैं. फुटेज में आने वाली भीड़, जाने वाले लोगों की संख्या और ब्रिज पर आए लोगों की मोमेंट का फॉरेंसिक एनालिसिस करने की बात भी हो रही है. पुलिस के मुताबिक टेक्निकल एनालिसिस में केबल की सही क्षमता और उसकी गुणवत्ता का भी पता लगने वाला है. उन रिपोर्ट्स के आधार पर ही आगे और लोगों की गिरफ्तारी संभव है.
अभी तक इस मामले में ओरेवा कंपनी के मैनेजर दीपक पारखे, दिनेशभाई दवे, टिकट क्लर्क मनसुख वालजीभाई, प्रकाशभाई लालजीभाई, सिक्योरिटीगार्ड अल्पेश भाई, दिलीप भाई और मुकेश भाई की गिरफ्तारी हुई है.
बीजेपी नेता ने सीएम को लिखा पत्र
कच्छ से बीजेपी नेता हरेश कुमार राठौर ने मंगलवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक पत्र लिखकर कहा कि एफआईआर में संदीप सिंह झाला का नाम जोड़ा जाना चाहिए. झाला को बुधवार को पूछताछ के लिए थाने में बुलाया गया था. पूछताछ के बाद थाने से आए झाला ने मीडिया से दूरी बनाई और बिना कुछ बोले चले गए. बीजेपी नेता ने मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के सदस्य को एक सरकारी नौकरी देने की मांग भी की है.