गुजरात के दाहोद जिले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से जुड़े 71 करोड़ रुपये के घोटाले में राज्य सरकार के पंचायत राज्यमंत्री बचुभाई खाबड़ के बेटे बलवंत खाबड़ और तहसील विकास अधिकारी दर्शन पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला है.
दरअसल, पिछले महीने दाहोद जिला ग्रामीण विकास एजेंसी की ओर से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें साल 2021 से 2025 तक हुए मनरेगा कार्यों में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था. जांच के शुरुआती चरण में पुलिस ने पहले ही 5 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया था. अब इस मामले में मंत्री के बेटे और एक वरिष्ठ अधिकारी की गिरफ्तारी ने इसे और गंभीर बना दिया है.
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पुलिस के अनुसार, शिकायत में बताया गया था कि जिले के धानपुर और देवगढ़ बारिया तहसीलों में रोड निर्माण का कार्य 35 अलग-अलग एजेंसियों को सौंपा गया था. इन एजेंसियों में एक बलवंत खाबड़ की एजेंसी भी शामिल थी. आरोप है कि इन विकास कार्यों में वास्तविक कार्य किए बिना फर्जी बिलों के जरिए भुगतान उठाया गया.
मनरेगा के नियमों के अनुसार, कुल राशि का 60% मटीरियल और 40% मजदूरी पर खर्च होना चाहिए, लेकिन कई जगह सिर्फ कागजों पर काम दिखाया गया. पुलिस ने आज दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर 5 दिन का रिमांड लिया है ताकि पूछताछ कर पूरे नेटवर्क और घोटाले की गहराई तक पहुंचा जा सके. इस मामले में बलवंत खाबड़ के एक भाई की अभी भी तलाश जारी है.
इस बीच, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री को "ऑपरेशन गंगाजल" की शुरुआत अपने ही मंत्रियों से करनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि यदि निष्पक्ष जांच हुई तो घोटाले की राशि 100 नहीं बल्कि 200 करोड़ से अधिक निकल सकती है. वहीं आप विधायक चैतर वसावा ने विधानसभा में पहले ही मनरेगा में 250 करोड़ रुपये के घोटाले का मुद्दा उठाया था और मंत्री को तत्काल इस्तीफा देने की मांग की है.
इस घोटाले ने एक बार फिर सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब देखना होगा कि जांच आगे क्या मोड़ लेती है और क्या सरकार दोषियों पर सख्त कार्रवाई करती है या नहीं.