मंगलवार को गुजरात विधानसभा में नया लोकायुक्त बिल पेश कर दिया गया है. वहीं राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस बिल पर सवाल उठाए.
नरेंद्र मोदी: 'शून्य' से 'शिखर' तक का सफर...
गौरतलब है कि इस बिल के मुताबिक लोकायुक्त की नियुक्ति का आखिरी फैसला मुख्यमंत्री का होगा. इसका सीधा मतलब यह होगा कि राज्य का सीएम ही अपने मन मुताबिक लोकायुक्त की नियुक्ति करेगा.
क्या है नए विधेयक में
इस नए सुधारक विधयेक के बाद मुख्य लोकायुक्त के अलावा दो नए लोकायुक्त और चार उप लोकायुक्त की भी नियुक्ति की जाएगी. इस विधेयक में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए बाकायदा 6 सदस्यों की कमेटी बनाने की बात कही गई है. जिसके अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होंगे. इस कमेटी में विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, एक मंत्री के अलावा हाईकोर्ट के सीनियर जज और विजिलेंस कमिशनर होंगे.
गुजरात लोकायुक्त की नियुक्ति सहीः सुप्रीम कोर्ट
कमेटी जिस नाम को सुझाएगी उसपर आखिरी फैसला चयन समिति के अध्यक्ष के तौर पर मुख्यमंत्री करेंगे. जिसके बाद उस नाम को गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजा जाएगा और बाद में राज्यपाल उसपर मुहर लगाएंगे. संविधान के अनुसार राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति राज्यपाल, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के परामर्श पर करते हैं लेकिन इस बिल के बाद गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए सीएम से परामर्श लेना ही होगा.
जीतना है तो मोदी लाओ, रामदेव की सलाह
गौर करने वाली बात है कि देश के 28 राज्यों में से 18 राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति हो चुकी है. बाकी राज्य इसे लागू करने में थोड़ी ढिलाई बरत रहे हैं.
लोकायुक्त की नियुक्ति पर गुजरात सरकार को लग चुका है झटका
गौरतलब है कि राज्यपाल के जरिये लोकायुक्त जस्टिस आरए मेहता की नियुक्ति को गुजरात सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट में दो बार और सुप्रीम कोर्ट में तीन बार चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ फैसला दिया था. अब गुजरात सरकार ने क्यूरेटिव बेंच में अपील की है.