यकीन मानिए....कुछ ऐसी ही है गुजरात की कहानी. यहां पर बच्चा यदि अच्छे आईक्यू वाला है तो वह सवर्ण है, नहीं तो दलित.
गुजरात के अनाथ आश्रम में बच्चों के नामकरण की एक अजीबोगरीब प्रथा चलन में है. बताया जाता है कि यहां यदि बच्चा दिखने में आकर्षक और सवालों का सही जवाब देता है तो वह सवर्ण है और यदि वो सवालों का सही जवाब नहीं दे पाता तो वह दलित है.
गुजराती अखबार दिव्य भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आश्रम में यदि बच्चा सही जवाब देता है तो उसे शाह, पंड्या, त्रिवेदी और व्यास आदि जैसे उपनाम मिलते हैं. यदि सवालों के गलत जवाब दिए तो परमार, मकवाणा, वाघेला और जैसे उपनाम बच्चों को मिलते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक आश्रम में महज ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है कि यहां बच्चों के नामकरण के संदर्भ में कोई स्पष्ट नीति नही है. अनाथालय में आने वाले बच्चों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में रखा जाता है. केंद्र और राज्य सरकार ऐसे बच्चों को ओबीसी के तहत मिलने वाली सुविधाएं देती है.