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तोगड़िया को कोई फंसाना चाहता है? वारंट पर उठाए सवाल

प्रवीण तोगड़िया की गुमशदगी के साथ कई सवाल खड़े होते हैं. क्योंकि इन दिनों उनके खिलाफ एक के बाद एक वारंट लगातार जारी हो रहे हैं.

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डॉ. प्रवीण तोगड़िया
डॉ. प्रवीण तोगड़िया

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के प्रमुख डॉ. प्रवीण तोगड़िया सोमवार को अचानक सुबह लापता होते हैं. कई घंटे के बाद तोगड़िया देर रात बेहोशी की हालत में पाए जाते हैं, जिसके बाद उन्हें शाहीबाग इलाके के चूड़ामणि अस्पताल में भर्ती कराया गया है. गुजरात और राजस्थान पुलिस को सुबह से ही उनकी तलाश थी. लेकिन इससे पहले ही तोगड़िया की गुमशुदगी की खबर से सियासत में हड़कंप मच जाता है. प्रवीण तोगड़िया की गुमशदगी के साथ कई सवाल खड़े होते हैं. क्योंकि इन दिनों उनके खिलाफ एक के बाद एक वारंट लगातार जारी हो रहे हैं. फिर मंगलवार को तोगड़िया खुद मीडिया से बात करते हैं और अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हैं.

प्रवीण तोगड़िया की गुमशूदगी के दिन सोमवार को ही उनके खिलाफ राजस्थान पुलिस 10 साल पुराने मामले में गिरफ्तारी का वारंट लेकर पहुंचती है. पर तोगड़िया नहीं मिलते हैं, पता चलता है कि वो एक ऑटो में बैठकर कहीं अकेले गए हैं. ऐसे में तोगड़िया के बिना गिरफ्तार किए ही राजस्थान पुलिस वापस रवाना हो जाती है.

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10 साल पुराना केस

बता दें कि राजस्थान पुलिस सोमवार को प्रवीण तोगड़िया के खिलाफ जिस मामले में गिरफ्तार करने गई थी, वो 10 साल पुराना है. 10 साल पहले राजस्थान में तीन हिंदू युवकों की हत्या के बाद डॉ तोगड़िया वहां पहुंचे थे. उन्हें कार्यक्रम करने की प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी. इसके बावजूद तोगड़िया ने लोगों को संबोधित किया था. उसी मामले में उनके खिलाफ गैरजमानती वॉरंट जारी था, जिसके तहत राजस्थान पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अहमदाबाद पहुंची थी. पर पुलिस के पहुंचने से पहले ही तोगड़िया गुमशुदगी खबर आई, बगैर गिरफ्तारी के पुलिस वापस लौट गई.

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही प्रवीण तोगड़िया के खिलाफ गुजरात की मेट्रोपोलिटन कोर्ट के जरिए गैरजमानती वारंट जारी किया था. जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में पेश हुए और उन्हें जमानत मिलने के बाद रिहा हुए. ये मामला भी 21 साल पुराना है. गुजरात सरकार के मंत्री रहे आत्माराम की पिटाई का है.

सोमवार को फिर उनके खिलाफ जारी वारंट और घटना क्रम के चलते सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि तोगड़िया के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होने लगी है. 21 साल पुराने मामले में कोर्ट में हाजिर हुए थे तब तोगडिया ने बताया था कि उनके खिलाफ राजनीतिक षंडयत्र किया जा रहा है. जब उनसे पूछा गया कि कौन षडयंत्र कर रहा है तो उन्होंने कहा था कि जो लोग नहीं चाहते हैं कि राममंदिर बने और वो लोग नहीं चाहते हैं कि हम बेरोजगारी, मुफ्त शिक्षा के खिलाफ आवाज उठाएं.

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तोगड़िया ने तब भी सवाल खड़ा किया था कि वो जब अहमदाबाद में ही रहते हैं तो उन्हें पहले समन क्यों नहीं दिया गया. सीधा वारंट कैसे जारी किया गया. ऐसे में ये भी सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों इतने सालों बाद तोगड़िया कि खिलाफ कार्रवाई तेज हो रही है, कहीं ये किसी के सियासी इशारे पर तो नहीं है.

जानकारों कि मानें तो तोगड़िया गुजरात चुनाव में जमकर सरकार के खिलाफ किसानों के मुद्दे, बेरोज़गारी के मुद्दों को लेकर बोल रहे थे.  वेसे में उनके खिलाफ सरकार ये कार्रवाई उनके ओर बीजेपी के बीच रिश्तों में आई दरार का नतीजा तो नहीं है.  

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