जूनागढ़ में 2018 में बना गिरनार रोप वे एशिया का सबसे बड़ा रोप वे माना जाता है. यह इतना अद्भुत है कि लोग दूर-दूर से इस रोप वे का आनंद उठाने यहां आते हैं. यहां आकर ऐसा लगता है जैसे आप स्विट्जरलैंड में ही पहुंच गए हों. सर्दियों के मौसम में यहां की खूबसूरती और भी ज्यादा लोगों को भाती है. इन दिनों दूर-दूर से सैलानी यहां पहुंच रहे हैं और इस रोप वे का आनंद उठा रहे हैं.
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2018 में इसका लोकार्पण किया था. तब से अब तक 50 लाख से भी ज्यादा लोग इस रोमांचक सफर का मजा ले चुके हैं. साल 2022 में इस उड़न खटोले में 10 लाख से भी ज्यादा लोगों ने इस सफर का आनंद उठाया. जबकि, 2022 में अकेले दिसंबर माह में 1.06 लाख से ज्यादा लोग रोप वे का सफर करने पहुंचे थे.
3300 फीट की ऊंचाई पर बना ये रोपवे एशिया का सबसे ऊंचा रोप वे है, जिसमें बैठकर आपको ऐसा लगता है जैसे आप आसमान के बीचों बीच हो और नीचे पूरी हरियाली ही हरियाली.
यह रोप वे जूनागढ़ में स्थित है. जुनागढ़ एक आध्यात्मिक, एतिहासिक और पौराणिक शहर है. यहां अक्सर सैलानियों का तांता लगा रहता है. लेकिन रोप वे के बनने से पिछले पांच सालों में प्रवासियों की संख्या में दस प्रतिशत ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.
बता दें कि पहले गिरनार पर्वत पर पहुंचने के लिए लोगों को 10,000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं. लेकिन रोप वे के बाद से अब लोग आसानी से इस पर्वत तक पहुंच सकते हैं. रोप वे बनने से पहले गिरनार पर्वत की चढ़ाई हर किसी के लिए संभव नहीं थी. बूढ़े और बच्चों के लिए तो गिरनार पर चढ़ाई एक सपना था. पर अब इस पर्वत की चोटी पर मां अम्बाजी के दर्शन करना हर किसी के लिए संभव हो चुका है. वो भी सिर्फ रोप वे के कारण.