आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन जजों की विशेष बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया। सरकार की तरफ से कोर्ट में आंकड़े पेश किए गए, जिसमें बताया गया कि हर साल 37 लाख लोग कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं और हजारों लोग रेबीज से अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया, जिसमें आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स भेजने या स्टेरिलाइज करने का निर्देश था। वहीं, पशु प्रेमियों की ओर से दलील दी गई कि शेल्टर होम्स में जगह नहीं है और कुत्ते वहां हिंसक हो रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि लोग खुलेआम कुत्तों को मांसाहारी भोजन देते हैं, जिससे उनकी प्रवृत्ति हिंसक हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "समाधान निकले, विवाद ना हो"। पशु प्रेमियों द्वारा अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अपेक्षित है।