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नहीं रहे दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर वाई एस डडवाल, कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान संभाली थी राजधानी की सुरक्षा

वाईएस डडवाल ही दिल्ली के वह पुलिस कमिश्नर थे जिनके पास कानून व्यवस्था की अहम जिम्मेदारी थी जब दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल हुए थे. कमिश्नर डडवाल के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस ने इन कॉमनवेल्थ गेम्स को सुचारू रूप से संपन्न कराने में बड़ा योगदान दिया था.

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दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर वाई एस डडवाल (फाइल फोटो)
दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर वाई एस डडवाल (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर वाई एस डडवाल का निधन
  • काफी समय से बीमार चल रहे थे डडवाल
  • 1974 बैच के थे IPS, 2007 में बने कमिश्नर

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे युद्धवीर सिंह डडवाल (YS Dadwal) का निधन हो गया है. बुधवार देर रात दक्षिणी दिल्ली में उन्होंने आखिरी सांस ली. वाईएस डडवाल कुछ समय से बीमार चल रहे थे. युद्धवीर सिंह डडवाल 1974 बैच के आईपीएस अफसर थे और 2007 में वह दिल्ली पुलिस कमिश्नर बने थे.

वाईएस डडवाल ही वह पुलिस कमिश्नर थे, जिनके पास कानून व्यवस्था की अहम जिम्मेदारी थी जब दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल हुए थे. कमिश्नर डडवाल के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस ने इन कॉमनवेल्थ गेम्स को सुचारू रूप से संपन्न कराने में बड़ा योगदान दिया था. सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे. कॉमनवेल्थ गेम्स में किसी भी तरह की कोई भी सुरक्षा समस्या नहीं आई. 

वाई एस डडवाल ने राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान न सिर्फ धरती से बल्कि आकाश से भी भारतीय वायुसेना की मदद से सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया था. इसमें हेलीकॉप्टर में बैठे शार्प शूटर किसी भी संभावित आतंकवादी घटना से निपटने के लिए तैयार थे. 

डडवाल वे पुलिस कमिश्नर थे जिन्होंने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और अफसरों को सड़क पर आकर ट्रैफिक इंतजामों को देखने की जिम्मेदारी देकर नई शुरुआत की थी. उस दौरान दिल्ली में 38 ट्रैफिक इंस्पेक्टर (टीआई) और 387 जोनल ऑफिसर (जेडओ) थे. कमिश्नर वाई एस डडवाल ने सभी टीआई के ऑफिस बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए थे, ताकि टीआई सड़कों पर नजर आएं. 

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1974 बैच के आईपीएस डडवाल इतिहास में स्नातकोत्तर थे.  वह 1978 के बाद से 16वें पुलिस आयुक्त बने थे जब दिल्ली पुलिस ने एक नई रैंकिंग प्रणाली शुरू की थी. 

14 अक्टूबर 1951 को जन्मे वाई एस डडवाल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पुलिस अधीक्षक रहे. 1980 में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में अपना पहला बड़ा काम मिला, जब उन्हें अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. 
 
वह 1993-1995 के दौरान केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) भी थे. उन्हें विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक और सेवा पदक से चार बार सम्मानित किया जा चुका है. दिल्ली पुलिस ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. 
 

 

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