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विश्व साइकिल दिवसः लॉकडाउन के कारण नारियल पानी बेचने को मजबूर ये मेडलिस्ट, जानें पूरी कहानी?

आज विश्व साइकिल दिवस है और आज एक ऐसे ही साइकिलिस्ट की कहानी जिसने मेडल जीता लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण परिवार का पेट पालने के लिए रेहड़ी पर नारियल पानी बेचने को मजबूर है.

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दिल्ली की सड़कों पर नारियल बेचने को मजबूर जावेद.
दिल्ली की सड़कों पर नारियल बेचने को मजबूर जावेद.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2018 में मेडल जीत चुके हैं जावेद
  • रेहड़ी पर बेचते हैं नारियल पानी
  • सुबह प्रैक्टिस पर भी जाते हैं जावेद

साइकिलिस्ट जावेद अहमद अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए रेहड़ी पर नारियल पानी बेचने को मजबूर हैं. जावेद ने 2018 में हुई नेशनल साइकिलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. जावेद की उम्र अभी 24 साल है और वो पूर्वी दिल्ली के जगतपुरी इलाके में रहते हैं. उनके परिवार में माता-पिता और एक छोटा भाई है. पिता इलाके में ही एक छोटा सा सैलून चलाते हैं. 

कुछ समय पहले जावेद के पिता को दिल से जुड़ी बीमारी हो गई जिसके चलते जावेद सैलून पर ही अपने पिता का हाथ बंटाने लगा. जावेद ने स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से ग्रेजुएशन किया है. इतना ही नहीं, दिल्ली स्टेट साइकिलिंग चैंपियनशिप में जीत दर्ज कराने के बाद कुरुक्षेत्र में आयोजित 23वीं नेशनल साइकिलिंग चैंपियनशिप 2018 में साइकिल दौड़ा कर ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था.

इसके अलावा राज्य स्तर पर भी जावेद ने कई पदक अपने नाम किए हैं, लेकिन पिता की बीमारी के चलते सैलून चलाना पड़ा. लॉकडाउन के कारण सैलून पर भी ताला लटक गया तो खाने-पीने के लाले पड़ गए. मजबूरन जावेद अब अपने छोटे भाई के साथ सड़क किनारे नारियल पानी बेच कर अपना घर चला रहे हैं.

जावेद के परिवार में पिता सलीम अहमद और मां रेशमा और एक छोटा भाई समीर है. पिता सलीम का अपना सैलून है. जावेद दिल्ली विश्व विद्यालय से पत्राचार से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. साइकिलिंग की लगन लगी, लेकिन परिवार की आर्थिक परेशानियां आड़े आ गईं. इतने पैसे नहीं थे कि पढ़ाई के साथ-साथ साइकिलिंग सेंटर में प्रैक्टिस करा सके.

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जावेद सुबह चार बजे से आठ बजे तक यमुनापार की सड़क पर साइकिल चलाकर भविष्य में आयोजित साइकिलिंग चैंपियनशिप के लिए प्रैक्टिस करते हैं. फिर दस बजे से कोरोना संकट के दौर में क्षेत्र के अंदर रेहड़ी पर नारियल पानी बेचने का काम करते हैं. जावेद विश्व स्तर पर देश और माता-पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी आड़े आ रही है. लिहाजा जावेद ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी मदद की जाए. जावेद का कहना है कि उसे रोजगार भी मिल जाए तो अपने परिवार और साइकलिंग को सुचारू रूप से जारी रख सकता है.

 

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