1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के पुल बंगश गुरुद्वारे और आसपास हुई हिंसा के आरोपी जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है. कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है और अग्रिम जमानत पर 4 अगस्त को दोपहर 3 बजे कोर्ट फैसला सुनाएगा. CBI ने टाइटलर की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया है.
वहीं टाइटलर की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए पीड़ित महिलाओं ने कहा 39 साल हो गए हैं लेकिन हमें न्याय नहीं मिला है. कोर्ट रूम में टाइटलर की जमानत का विरोध करते हुए पीड़ित महिलाएं जज के सामने हाथ जोड़कर रो पड़ीं. पीड़ितों के वकील HS फुल्का और अन्य वकीलों ने महिलाओं को चुप रहने को कहा. फिर टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने कोर्ट को पूरा बैकग्राउंड समझाते हुए अग्रिम जमानत अर्ज़ी पर जिरह शुरू की.
टाइटलर के वकील ने दीं ये दलील
टाइटलर के वकील ने कहा देश में बहुत दुःखद घटना हुई थी. 40 साल पहले जो हुआ, उसको माफ नहीं किया जा सकता है. नानावती कमीशन की रिपोर्ट के बाद CBI ने मामले में जांच शुरू की. दिल्ली पुलिस ने दो बार और CBI ने एक बार कहा टाइटलर के खिलाफ कुछ नहीं मिला. CBI ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया था. इसके बाद लोकसभा चुनाव से 11 महीने पहले कुछ नए गवाहों के बयान के आधार पर CBI ने मेरे खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया गया.
टाइटलर के वकील ने कहा आम मामलों में जांच तेज होती है. वहां पर कोर्ट का समन का आमतौर पर विरोध नहीं होता है. चार दशक के बाद गवाह सामने आए हो, वहां यह देखना होगा कि जांच एजेंसी ने पहले क्या किया है. हमको पता है कि हमको इसका समाना करना ही होगा. पूरी जांच के दौरान CBI ने मुझको गिरफ्तार नहीं किया.
पीड़ित पक्ष की ओर से दी गईं ये दलीलें
पीड़ितों के वकील HS फुलका ने कहा कि दिल्ली में दिन दहाड़े 3000 लोगों की हत्या की गई. ये लोग कानूनी प्रावधानों का मख़ौल उड़ाते है. सिख महिलाओं के साथ रेप और हत्या करने वाले इन लोगों को सम्मानित किया गया. इसलिए आज मणिपुर में जो हो रहा है हम सब देख रहे हैं. आज़ादी के समय बंटवारे के समय जो हत्या हुई उसी तरह से का पैटर्न सिख दंगों, गुजरात, मुजफ्फरनगर और दूसरी जगहों पर भी देखा गया. इन लोगों ने न सिर्फ गवाहों को ही नहीं बल्कि वकीलों को भी धमकियां दी हैं. जगदीश टाइटलर प्रभावशाली व्यक्ति है, उनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए.