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कौन हैं अनिल बैजल की जगह लेने वाले दिल्ली के नए उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना?

18 मई को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अचानक इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के पीछे की वजह बैजल ने निजी कारण बताए थे. उपराज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल के 5 साल 31 दिसंबर 2021 को पूरा हो गया था. हालांकि, दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता.

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दिल्ली के नए उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना
दिल्ली के नए उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विनय कुमार सक्सेना होंगे दिल्ली के नए एलजी
  • अनिल बैजल ने हाल ही में दिया था इस्तीफा

Delhi New Lieutenant Governor Vinai Kumar Saxena: दिल्ली के उप-राज्यपाल के तौर पर अनिल बैजल ने हाल ही में निजी कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद राजधानी के नए उप-राज्यपाल के नाम पर अटकले लगाई जा रही थीं. जिन पर अब विराम लग चुका है. दिल्ली में अब विनय कुमार सक्सेना उप-राज्यपाल होंगे. सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनिल बैजल का इस्तीफा स्वीकर कर लिया और विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली का नया उप-राज्यपाल नियुक्त किया है.

23 मार्च, 1958 को जन्मे विनय कुमार सक्सेना कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं और कुछ समय पहले तक वो खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष थे. विनय कुमार सक्सेना के पास पायलट का लाइसेंस भी है. 

दिल्ली के नए एलजी ने जेके ग्रुप के साथ राजस्थान में एक सहायक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया. व्हाइट सीमेंट प्लांट के साथ 11 साल काम करने के बाद, उन्हें 1995 में गुजरात में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना की देखभाल के लिए महाप्रबंधक के रूप में प्रमोट किया गया था. इसके बाद वह तेजी से सीईओ बने और बाद में धोलर पोर्ट प्रोजेक्ट के निदेशक के रूप में प्रमोट हुए.

अक्टूबर 2015 में केवीआईसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के बाद, विनय सक्सेना ने खादी और ग्रामोद्योग को नए रूप में ढालने की पूरी कोशिश की और 'हनी मिशन', 'कुम्हार सशक्तिकरण योजना', 'चमड़े के कारीगरों के सशक्तिकरण' जैसी कई नवीन योजनाओं और उत्पादों की शुरुआत की. जिसमें खादी प्राकृत पेंट, परियोजना आरई-एचएबी, खादी कपड़े के जूते और प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज, आदि भी शामिल हैं. 

वहीं बीते साल (2021) मार्च में, सरकार ने विनय सक्सेना को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय समिति के सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त किया. इस समिति का नेतृत्व प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधान मंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य सदस्य शामिल होते हैं. 

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