तीस हजारी कोर्ट हिंसा के खिलाफ दिल्ली के सभी जिला कोर्टों के वकील आज हड़ताल पर हैं. सुप्रीम कोर्ट के बाहर वकीलों के समूह ने प्रदर्शन किया. वकीलों ने घायलों वकीलों को 10 लाख रुपया का मुआवजा देने के साथ आरोपियों पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
दिल्ली की सभी अदालतों के बाहर वकीलों पर हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा था. शनिवार को हुए वकील और पुलिस विवाद के बाद आज पहली बार तीस हजारी कोर्ट खुली है. वकीलों ने आज की हड़ताल का ऐलान शनिवार को ही कर दिया था.
वकीलों द्वारा हड़ताल की घोषणा के बाद भी दिल्ली पुलिस के हाथ-पांव फूले हुए हैं. इस बात को लेकर कि जिस अदालत परिसर में खुलेआम एक दिन पहले ही लात-घूंसे, लाठी-डंडे वकीलों और पुलिस के बीच चले थे, अब वहां सुरक्षा इंतजाम करना इतना आसान नहीं है.
कोर्ट में विवाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. पुलिस ने सोमवार को तीस हजारी कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त कर दी है. इस रणनीति के तहत तय हुआ है कि शनिवार को दिल्ली पुलिस की तीसरी वाहनी के जिन पुलिसकर्मियों के साथ वकीलों की मारपीट हुई, उन्हें सोमवार को दोबारा अदालत परिसर में न लगाया जाए.
Delhi: Lawyers protest outside Supreme Court over different issues, including demand of Rs 10 lakhs compensation each to the lawyers who were injured in clash with police at Tis Hazari court on 2nd November. pic.twitter.com/I2BqUL9Gm3
— ANI (@ANI) November 4, 2019
जिस नई और बदली हुई फोर्स को कोर्ट कैंपस में तैनात किया जाए, उसमें अधिकांश पुलिस थाने-चौकी की हो. जो हमेशा आमजन के बीच कानून व्यवस्था संभालने की अनुभवी मानी जाती है. जबकि दिल्ली पुलिस तीसरी वाहनी के पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी सिर्फ कैदियों को जेल से अदालत और फिर अदालत से जेल तक ले जाने भर की ही होती है.
रणनीति बदलने की प्रमुख वजह यह भी है कि, शनिवार को जो पुलिसकर्मी और वकील आमने-सामने हुए थे, अगर वे ही सोमवार को कहीं आमने-सामने आ गए तो ऐसा न हो बैठे-बिठाए कोई नई मुसीबत सिर आ पड़े. इसलिए सोमवार को थानों और रिजर्व पुलिस फोर्स तथा अर्धसैनिक बल ही तैनात करना बेहतर होगा.