दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने डीटीसी और क्लस्टर बसों के यात्रियों को कॉन्टैक्टलेस टिकटिंग मोबाइल फोन ऐप के माध्यम से बस टिकट की खरीद पर किराए में 10 फीसदी की छूट देने को मंजूरी दी है. दिल्ली सरकार के कॉन्टैक्टलेस टिकटिंग ऐप का व्यापक परीक्षण विशेष रूप से गठित एक टास्क फोर्स के जरिए किया जा रहा है.
दिल्ली में जुलाई 2020 से किए जा रहे इस परीक्षण में जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार अब तक कुल खरीदे गए टिकटों का 6 फीसदी ऐप के माध्यम से खरीदा गया है.
ऐप अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध
ई-टिकटिंग के अलावा, ऐप बसों के आने का अनुमानित समय (ईटीए) और निकटतम उपलब्ध ईवी चार्जिंग स्टेशन के बारे में जानकारी देता है. यात्री बस के अंदर इस ऐप के द्वारा क्यूआर कोड को स्कैन करके और किराया के भुगतान का माध्यम तथा गंतव्य स्टॉप का चयन करके पास और पिंक टिकट बुक कर सकते हैं. ऐप अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है.
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दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि इसके जरिए टिकट खरीदते समय यात्रियों और बस कर्मचारियों के बीच कम से कम संपर्क हो, इसे सुनिश्चित किया जा सकेगा. जब हमने 2018 में कॉमन मोबिलिटी कार्ड लॉन्च किया था, तो हमने देखा कि बड़ी संख्या में निजी कार उपयोगकर्ता सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने लगे.
उन्होंने कहा कि ई-टिकटिंग ऐप और कॉमन मोबिलिटी कार्ड के माध्यम से हम जो प्रोत्साहन प्रदान कर रहे हैं, उससे दिल्लीवासियों के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा का इस्तेमाल करना और सुगम हो जाएगा. इससे ज्यादा से ज्यादा लोग सार्वजानिक परिवहन सेवाओं का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हो सकेंगे.
रोजाना 49 लाख यात्री करते हैं सफर
दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर बसों को मिलाकर कुल 6,750 बसें हैं. इसमें औसतन 49 लाख यात्री रोजाना यात्रा करते हैं. कोविड महामारी के मद्देनजर टिकट खरीदते समय यात्रियों और बस कर्मचारियों के बीच कम से कम संपर्क हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए ऐप-आधारित टिकट खरीद महत्वपूर्ण थी.
अब सभी बसों में निगरानी और ट्रैकिंग केंद्रीकृत और नियंत्रण केंद्र द्वारा किया जा रहा है. ऐसे में ऐप के ज़रिये टिकट बुकिंग से डाटा मैनेजमेंट और मॉनिटरिंग में आसानी होगी. ई टिकटिंग से टिकटों की छपाई, भंडारण तंत्र आदि पर होने वाले खर्च की भी बचत होगी. परिवहन विभाग को उम्मीद है की ऐप-आधारित टिकटिंग से एक बेहतर यात्री ऑन-बोर्डिंग डेटा भी उपलब्ध होगा. जिसका इस्तेमाल बसों के मार्गों को बेहतर बनाने और यात्रियों के लिए अच्छी सेवाओं के लिए किया जा सकेगा.