सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग को लेकर दाखिल ये याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हम क्यों नोटिस जारी करें या दर्जा दें, पब्लिसिटी के लिए?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने का मामला नीतिगत है और इसके लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व नौकरशाह और वकील डीजी वंजारा की ओर से दायर याचिका पर कहा कि इसके लिए संसद को कोई रिट नहीं जारी की जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता डीजी वंजारा ने कहा कि वे इसे लेकर केंद्र सरकार की तरफ से चर्चा चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चर्चा के लिए कोर्ट के दखल की मांग पर कहा कि इसे लेकर चर्चा की सही जगह संसद है. कोर्ट ने ये भी पूछा कि देश के कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है. क्या आप एक लाइन संस्कृत बोल सकते हैं?
याचिकाकर्ता डीजी वंजारा ने इस पर एक श्लोक सुनाया. उन्होंने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे विलियम जोन्स की टिप्पणी का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने संस्कृत को मातृभाषा बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदी के साथ ही कई दूसरी भाषाओं में भी कई शब्द संस्कृत से आए हैं लेकिन ये राष्ट्रभाषा घोषित करने का आधार नहीं हो सकता.
याचिकाकर्ता की ओर से ये दलील भी दी गई कि अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास पर्याप्त अधिकार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बहस संसद में होनी है. सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग को लेकर डीजी वंजारा की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी.