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मैंने नहीं की सबूतों से छेड़छाड़ तो क्यों दूं इस्तीफाः सोमनाथ भारती

दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने भ्रष्टाचार के एक मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोपों को खारिज करते हुए अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने दावा किया है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. वो सबूतों से छेड़छाड़ नहीं बल्कि उसे और मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे.

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दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती
दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती

दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने भ्रष्टाचार के एक मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोपों को खारिज करते हुए अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने दावा किया है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. वो सबूतों से छेड़छाड़ नहीं बल्कि उसे और मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे.

दरअसल, अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में मंगलवार को एक खबर छपी जिसके मुताबिक 2013 में सीबीआई ने वकील सोमनाथ भारती पर भ्रष्टाचार के एक मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और अभियोजन पक्ष के गवाह को प्रभावित करने का आरोप लगाया था. इस बाबत पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमनाथ भारती को फटकार भी लगाई थी.

आरोपों को बकवास करार देते हुए सोमनाथ भारती ने कहा, 'अखबार में जो खबर छपी है वो गलत है. यह पूरी तरह से झूठ है. पता नहीं मुझसे तथ्यों की जांच किए बिना अखबार को ऐसी खबर छापने की जल्दी क्यों थी. ये मामला स्टेट बैंक ऑफ मैसूर का है, जहां 116 करोड़ का घोटाला हुआ. मैं सबूतों से छेड़छाड़ नहीं बल्कि उसे और मजबूत करने की कोशिश कर रहा था जबकि मुझपर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया गया.'

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सोमनाथ भारती ने कहा, 'एक्सपोर्ट (लेटर ऑफ क्रेडिट) से जुड़ी तीन कंपनियों ने मिलकर मार्च 2009 में स्टेट बैंक ऑफ मैसूर को 116 करोड़ का चूना लगाया. विदेशी बैंक से परमिशन नहीं मिलने के बावजूद लेटर ऑफ क्रेडिट के नाम पर स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के अधिकारी इन कंपनियों को पैसा देते रहे. जब नुकसान 116 करोड़ तक पहुंच गया तो विजलेंस डिपार्टमेंट हरकत में आया. उस वक्त बैंक के एजीएम मनमोहन सिंह और बीएस दिवाकर थे. उनपर भी आरोप लगा. लेकिन फंसा दिया गया बैंक के डेस्क ऑफिसर पवन कुमार को. सितंबर 2010 में पवन को सस्पेंड कर दिया गया वो भी बिना कारण बताओ नोटिस के. विजलेंस डिपार्टमेंट ने सबके खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया था पर पता नहीं किस वजह से सीबीआई ने सिर्फ पवन कुमार को आरोपी बनाया. 2013 में मामले की सुनवाई के दौरान पांच तारीखों पर कोई गवाह नहीं आया. बीएस दिवाकर भी इस केस में गवाह थे. इसलिए मेरे क्लाइंट पवन कुमार ने 16 फरवरी 2013 बीएस दिवाकर से फोन पर बात की. इस दौरान मेरी भी बातचीत हुई. मेरे पास उस बातचीत की पूरी ट्रांसक्रिप्ट है. हम कोर्ट के सामने सच लाना चाहते थे. मुझसे बातचीत के दौरान बीएस दिवाकर ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. हमने कोर्ट में इस सीडी को ऑन रिकॉर्ड लाने के लिए अर्जी दी थी. इस दौरान सीबीआई ने पवन कुमार की बेल कैंसिल करने के लिए अर्जी दे दी और पूरी प्रक्रिया में उस अहम सीडी की बात कहीं दब गई.'

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हालांकि, सोमनाथ भारती ने कोर्ट द्वारा फटकार लगाए जाने की बात से इनकार नहीं किया. उन्होंने कहा, 'गवाह पर दबाव डालने और सबूत के साथ छेड़छाड़ करने के लिए मुझे दोषी मानना गलत था. जज ने गलत टिप्पणी की थी.'

क्या है आरोप?
सीबीआई ने आरोप लगाया कि पवन कुमार और उनके वकील सोमनाथ ने भ्रष्टाचार के मामले को लेकर फोन पर अभियोजन पक्ष के गवाह से बात की. इसके बाद सीबीआई की विशेष अदालत की जज बाम्बा ने कहा कि यह बहुत आपत्तिजनक (हाईली ऑब्जेक्शनेबल) और अनैतिक (अन-एथिकल) है. यही नहीं यह मामला सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश से भी जुड़ता है. तब अदालत ने पवन कुमार को बेल देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद पवन ने वकील सोमनाथ भारती और प्रशांत भूषण के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत याचिका दायर की, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली.

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