मैनुअल स्कैवेंजर्स यानी हाथों से मैला साफ करने या सेप्टिक टैंक की सफाई करने वालों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगस्त के तीसरे सप्ताह में सुनवाई की जाएगी.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सबसे ऊंची अदालत ने 2019 में मैनुअल स्कैवेंजर्स मामले में केंद्र और राज्य सरकारों सहित कई पक्षकारों को नोटिस जारी किया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद अब तक केवल 13 पक्षकारों द्वारा ही जवाब दाखिल किया गया है, जबकि इस मामले में 51 पक्षकारों को जवाब देना था. कोर्ट इस मामले में कुछ करे.
इस मामले में CJI ने कहा हम किसी को जवाब दाखिल करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर अगस्त के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेंगे. बता दें NGO क्रिमिनल जस्टिस सोसाइटी ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 1993 के बाद से देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग में हुई मौतों की जांच, उनकी पूरी संख्या और उनके लिए दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.
बता दें कि 1993 में एम्प्लॉयमेंट ऑफ मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ ड्राई लैट्रिन (निषेध) अधिनियम के तहत मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि, मैनुअल मैला ढोने वालों के रोजगार को प्रतिबंधित करने वाले एक कानून के बावजूद, एक सरकारी सर्वेक्षण ने जुलाई 2019 तक इस रोजगार में लगे 54 हजार 130 लोगों की पहचान की गई. बता दें कि सीवर या सेप्टिक टैंक के अंदर जहरीली गैस के सांस में जाने से सफाई कर्मचारियों को बाद में तकलीफों का सामना करना पड़ता है. ये लोग काफी गंभीर बीमारियों से भी जूझते हैं.