शिवसेना कार्यकर्ता पर जानलेवा हमले के मामले में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे और भाजपा विधायक नितेश राणे को राहत मिलती नजर आ रही है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी विधायक नितेश राणे को संरक्षण देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 10 दिनों की रोक लगा दी.
नितेश की जमानत याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नितेश को ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करना होगा. कोर्ट ने आगे कहा कि नितेश नियमित जमानत के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं. नितेश राणे की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि नितेश राणे के खिलाफ ये फर्जी केस है. ये कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक मामला है. नितेश कोई अपराधी नहीं है.
सिंघवी ने याचिका का विरोध किया
रोहतगी की दलील पर CJI एनवी रमणा ने महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किए. CJI ने सिंघवी से पूछा कि क्या यह राजनीति है? ये राजनीतिक बुखार है या वायरस? इस पर सिंघवी ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि नितेश राणे को सरेंडर करने के लिए कहा जाना चाहिए. उन्हें आत्मसमर्पण के बाद ही नियमित जमानत दी जाए.
नितेश राणे ने क्या कहा?
इस मामले पर नितेश का कहना है कि कोर्ट ने अग्रिम जमानत का आदेश न देकर गलती की है. उन्होंने कहा कि मैंने कोई साजिश नहीं रची है. दो बार का विधायक हूं. इसलिए राजनीतिक बदले की भावना से मुझे फंसाया जा रहा है. इस घटना से यह भी पता चलता है कि सत्ता में बैठी पार्टी राजनीतिक बदले के लिए किस हद तक जा सकती है.