दिल्ली नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर का 26 अप्रैल को चुनाव होना था. यह चुनाव टल गया है. दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने की वजह से यह चुनाव तो टल गया लेकिन नियमों के मुताबिक निगम सदन की पहली बैठक होनी थी. निगम सदन में जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पार्षदों ने निगम सदन में मेयर के आसन का घेराव किया और जमकर नारेबाजी की. बीजेपी के पार्षद 'मेयर मैडम सदन में आओ, सदन में आकर हाउस चलाओ' के नारे लगा रहे थे.
बीजेपी के पार्षद मेयर के आसन के सामने टेबल पर चढ़ गए और जमकर हंगामा किया. बाद में आम आदमी पार्टी के पार्षद भी निगम सदन में पहुंच गए. इसके बाद दोनों ही तरफ से जमकर नारेबाजी होने लगी, पोस्टर लहराए जाने लगे. हंगामे के बाद एमसीडी की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. मेयर शैली ओबेरॉय ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि वे नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी का मेयर और डिप्टी मेयर बने. बीजेपी चंडीगढ़ में चीटिंग कर मेयर बना चुकी थी. अब दिल्ली नगर निगम में मेयर बनाने की प्रक्रिया रोकी गई.
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उन्होंने एलजी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह कह रहे मेरे पास पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने की पावर नहीं है. इस बार मेयर दलित समाज से बनना था. दिल्ली की मेयर ने बीजेपी को दलित विरोधी बताते हुए आरोप लगाया कि संविधान की हत्या की गई है. वहीं, आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि लोकसभा चुनाव में वोटिंग से बीजेपी के लोग बौखला गए हैं. बीजेपी के लोग संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब 2014 और 2019 में भी मेयर चुनाव हुए तो अब क्या दिक्कत है?
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दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि संबंधित मंत्रालय को फाइल ही नहीं भेजी गई जिससे मेयर चुनाव टालने का बहाना मिल सके. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी फिर से सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी, दलित-पिछड़ों के अधिकार खत्म कर देगी. एमसीडी में पांच साल में से एक साल दलित समाज से मेयर बनता है. दुर्गेश पाठक ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी इसे लेकर गली-गली जाएगी, कोर्ट का दरवाजा खट-खटाएगी. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही चुनाव आयोग ने आचार संहिता के बीच मेयर चुनाव कराने के लिए हरी झंडी दे दी थी.