ग्रेटर नोएडा में एक शर्मसार करने वाली वारदात हुई. यहां एक आरटीआई एक्टिविस्ट अनूप सिंह ने जब भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की तो उन्हें इसकी सजा दी गई. सजा भी इतनी भयानक की सुनते ही कलेजा कांप जाए. अनूप सिंह के साथ अमानवीय अत्याचार किया गया. उनके शरीर को रॉड से जला दिया गया और उनके गुप्तांगों को भी जलाने का प्रयास किया गया.
अनूप सिंह ने अपने गांव में हो रहे विकास कार्यों नाली खड़ंजा रोड निर्माण में इस्तेमाल की जा रही घटिया सामग्री के खिलाफ आवाज उठायी थी. आरटीआई के जरिये आवाज उठाने वाले अनूप ग्रेटर नोएडा के सिक्का गांव के हैं.
अनूप ने यमुना विकास प्राधिकरण व जिलाधिकारी से गांव में हो रहे निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री इस्तेमाल होने की शिकायत की थी. इसके साथ ही ठेका देने पर भी आरटीआई लगा रखी थी. और तो और इस संबंध में उनके पास और भी मामले थे, जिसकी शिकायत वो जल्द ही करने वाले थे. लिहाजा वो ठेकेदारों के आंख के किरकिरी बन गए थे. बीते 13 दिसम्बर को उन्हें उस समय अगवा कर लिया गया था जब वो अपने गांव सक्का से दनकौर कसबे की ओर जा रहे थे.
घर न पहुंचने की सूरत में अनूप के परिजनों ने थाना दनकौर में उनके अपहरण कि आशंका जतायी थी. इसके बावजूद इस मामले को गंभीरता से न लेते हुए गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन अचानक मंगलवार 17 दिसंबर को वो नग्न व मरणासन्न हालत में गौतमबुद्ध नगर के झाझर कसबे के पास जहांगीराबाद क्षेत्र में पड़े मिले. घर वालों को आशंका है उनकी ये हालत उन्हीं भ्रष्टाचारियों ने की है, जिनकी आंखों के वो किरिकिरी बने हुए थे. पुलिस कार्रवाई करने की बात कह रही है.
आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने कहा कि जब भी आरटीआई एक्टिविस्ट भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर सूचनाएं मांगते हैं तो कई बार उनपर दबाव पड़ते है और धमकी भी दी जाती है. ऐसी धमकी की शिकायत पुलिस प्रशासन में दी जाती है तो उसपर कोई कारवाई नहीं की जाती है. बल्कि कई बार तो इस तरह से कहा जाता है कि वो ब्लैकमेलिंग के लिये आरटीआई मांग रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई मांगता है खासतौर पर भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे पर आरटीआई मांगता है तो उसकी सुरक्षा को हमेशा खतरा रहता है. वो उनको किसी भी तरह से निपटाने की कोशिश करते हैं. ऐसे मामलों में तत्काल और सख्त कारवाई होनी चाहिए.
इसी को लेकर डीओपीटी ने तमाम राज्य सरकारों को एक शासनादेश जारी किया था कि वे आरटीआई एक्टिविस्टों द्वारा सुरक्षा की मांग पर तुरंत कार्रवाई करें, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस बिंदु पर अभी भी राज्य सरकार सचेत नहीं है और आरटीआई कार्यकर्ता के कहने पर भी उनको सुरक्षा नहीं मुहैया कराई जाती है, जिसका नतीजा अभी नोएडा में हुआ उस तरह की चीजें देखने को मिलती है.