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पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाने पर सुरजेवाला का केंद्र पर निशाना, बोले- BJP कर रही लूट 

कोरोना की दूसरी लहर में जहां लोग पहले से ही परेशान हैं, तो वहीं पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ने से अब महंगाई की मार भी झेलनी होगी. पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ने को लेकर कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने भी केंद्र पर निशाना साधा है.

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कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेट्रोल-डीजल के करों में 12 बार हुई बढ़ोत्तरी
  • GST के दायर में पेट्रोल-डीजल को लाने की मांग

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले आठ दिनों में पेट्रोल पर 1.40 व डीजल पर 1.30 रुपया प्रति लीटर रेट बढ़ाया है. जहां देश की 130 करोड़ जनता आज कोरोना महामारी से जूझ रही है, तो वहीं चुनाव खत्म होते ही बीजेपी ने लूट का खेल शुरू कर दिया है.

उन्होंने कहा कि आज देश में हालात बहुत ज्यादा खराब हैं. कोरोना के टेस्ट पूरे नहीं हो पा रहे हैं और ना हीं उनकी रिपोर्ट समय पर आ पा रही है. हॉस्पिटल में डॉक्टर, ऑक्सीजन, दवाई और बेड की कमी है, जिससे हर रोज गांव-मोहल्लों में मौतें हो रही हैं. भारत के लोग इस कठिन आर्थिक मंदी और महामारी की दूसरी लहर का सामना करते हुए अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन निष्ठुर सरकार उन्हें उचित आर्थिक सहायता और मुश्किल समय में राहत की उम्मीद देने की बजाय हर रोज डीजल और पेट्रोल के दामों में वृद्धि का बोझ डाल मुनाफाखोरी व जबरन वसूली कर रही है. 

उन्होंने कहा कि सस्ता पेट्रोल-डीजल देने के वायदे पर सत्ता में आयी मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बढ़ाने के लिए कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बढ़ने की झूठी बहानेबाजी करती है, लेकिन सच्चाई है की कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें कांग्रेस के समय से एक चौथाई कम हैं, लेकिन मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क को बार-बार बढ़ा कर जनता का तेल निकाल दिया है. 

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आसमान छू रहीं कीमतें 
उन्होंने कहा कि 26 मई 2014 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, तब भारत की तेल कंपनियों को कच्चा तेल 108 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मिल रहा था, जो तत्कालीन डॉलर-रुपया के अंतरराष्ट्रीय भाव के अनुसार 6,330 रुपए प्रति बैरल बनता है, जिसका अर्थ है तेल लगभग 40 रुपए प्रति लीटर के भाव पर पड़ रहा था. उस समय पेट्रोल व डीजल क्रमश 71.41 और 55.49 रुपए प्रति लीटर में उपलब्ध था, जो आज  91.80 और 82.36 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है. कच्चे तेल की कीमत आज 67.21 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल यानी 4934.27 रुपए प्रति बैरल है, जो 22 प्रतिशत कमी के बावजूद पेट्रोल व डीजल की कीमतें कहीं ज्यादा हैं और आसमान छू रही हैं.

इस तरह बढ़ा उत्पाद शुल्क 
जब मई 2014 में सत्ता संभाली तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क केवल 9.20 रुपये प्रति लीटर और 3.46 रुपये प्रति लीटर पर था, जिसमें भाजपा सरकार द्वारा पेट्रोल पर 23.78 प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गयी है, जो यूपीए की तुलना में 258 और 820 प्रतिशत ज्यादा है. वर्ष 2014-15 से वर्ष 2020-21 तक 6.5 वर्षों की अवधि के बीच, केंद्रीय भाजपा सरकार ने 12 बार पेट्रोल और डीजल पर करों में वृद्धि की और जनता से साढ़े छह साल में 21.50 लाख करोड़ रुपए वसूले हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार यदि पिछले साढ़े छह वर्षों के दौरान स्वयं के द्वारा बढ़ाए गया उत्पाद शुल्क को ही वापस ले ले तो जनता को भारी राहत मिल सकती है.

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ये की मांग 
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ने मांग की है कि घटे हुए अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों का लाभ आम लोगों को मिलना चाहिए और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी की जाए. पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए. पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाये जाने तक मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाई गई 23.78 प्रति लीटर व 28.37 रुपए प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. 

 

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