दिल्ली सरकार के चुनिंदा अस्पतालों में रेप क्राइसिस सेल चल रहे हैं, जिससे रेप पीड़ित महिलाओं को मेडिकल और लीगल मदद दी जा सके. अब यही सेल निजी कंपनियों में भी शुरू किए जा रहे हैं.
रेप क्राइसिस सेल निजी कंपनियों में कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) की पहल के रूप में शुरू किए जा रहे हैं. गत वर्ष अगस्त में दिल्ली देश का पहला राज्य बना था, जिसने संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में ये सेंटर शुरू किया था.
16 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर, चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिए गए कि कंपनी की ओर से सीएसआर आवश्यकताओं के साथ आने वाले प्रस्तावों को स्वीकार किए जाएं, जो बाद में स्वास्थ्य विभागों द्वारा संचालित किए जाएंगे.
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये फैसला कुछ कंपनियों से मिले प्रस्तावों के बाद ही लिया गया है. अधिकारी ने कहा, 'पिछले साल जब केंद्रीय सरकार ने सीएसआर के नियमों को संशोधित किया, हमें दो कंपनियों के प्रस्ताव मिले. नए नियमों में समाज कल्याण, महिला और बाल कल्याण के क्षेत्र भी शामिल थे.
हमें लगा निजी कंपनियां हम जो सेवाएं दे रहे हैं उसे बेहतर करने में मददगार साबित होंगी तो इसलिए हमने इसे पॉलिसी इसे पॉलिसी चेंज की तरह इंट्रोड्यूस किया.' सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब भी इस प्लान के साथ चलेगी, जिससे इस साल दिल्ली के 11 जिलों में केंद्र, राज्य और म्युनिसिपल अस्पतालों में इस तरह के सेंटर खुल सके. इन केंद्रों से रेप पीड़ित महिलाओं को इलाज के साथ ही काउंसलिंग और लीगल हेल्प भी मिल सकेगी.
सूत्रों के मुताबिक निजी कंपनियां इस सेंटर के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करेगी, जो कि सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होती है. इसके साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ भी होंगे. एक स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'सरकारी अस्पतालों के लिए 24×7 एम्बुलेंस देना असंभव है. इस क्षेत्र में निजी कंपनी हमारी मदद कर सकती है. हमारे पास स्टाफ कम है, निजी कंपनी हमें स्टाफ बढ़ाने में और लीगल सर्विस देने में भी मदद कर सकती है.'
सूत्रों के मुताबिक, जिन अस्पतालों में इन सेंटर का निर्माण कार्य समाप्त हो चुका है, वहां कंपनी इनकी रूप-रेखा पर भी काम कर सकती है. इसके साथ ही लाल बहादुर शास्त्री, बाबा साहेब अंबेडकर और हिंदुराव अस्पताल में तो कंपनी उनके निर्माण कार्य में भी मदद कर सकती है.