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दिल्ली में नवरात्रि की तैयारी शुरू: दुर्गा पूजा में दिखा बंगाली टच

बंगाल की दुर्गा पूजा देश भर में मशहूर है पर अब दिल्ली में प्रचलित होते पूजा पंडाल राजधानी के बंगाली परिवारों के लिए किसी भी मायने में बंगाल से कम नहीं है.

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(फाइल फोटो, इंडिया टुडे)
(फाइल फोटो, इंडिया टुडे)

दुर्गा पूजा महज एक त्योहार नहीं है बल्कि ये पर्व ऐसा है जो लोगों की आस्था से ज्यादा उनके दिलों से जुड़ा है. नारी शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा की आराधना यूं तो भारत में हर हिंदू घर में आम बात है लेकिन नवरात्रों के नौ दिनों में मां के हर रूप की पूजा की जाती है.

बंगाल की दुर्गा पूजा देश भर में मशहूर है पर अब दिल्ली में प्रचलित होते पूजा पंडाल राजधानी के बंगाली परिवारों के लिए किसी भी मायने में बंगाल से कम नहीं है. दिल्ली में दुर्गा पूजा का सीधा अर्थ है नवरात्रों की शुरुआत, जहां पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के प्रत्येक दिन में मां के हर एक अवतार की पूजा होती है.

बंगाल की तरह अब दिल्ली में भी पूजा पंडाल का चलन बढ़ता जा रहा है. लोग गणपति की तरह दुर्गा मूर्तियों को घरों में लेकर आते हैं. बंगाल और दिल्ली की दुर्गा पूजा में अब बहुत ज्यादा फर्क नहीं रह गया है सिवाय प्रतिमाओं के. दिल्ली की दुर्गा मूर्तियों और बंगाल की दुर्गा मूर्तियों में ढेरों असमानताएं हैं.

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ये हैं दिल्ली और बंगाल की दुर्गा मूर्तियों में असमानताएं

-दिल्ली में नवरात्रों के पहले दिन से दुर्गा मंदिरों में पहले दिन से मां के नौ स्वरूपों की पूजा शुरू हो जाती है जबकि बंगाली मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा की प्रतिमा पूजा पंडालों में नवरात्रों के पांचवे दिन स्थापित की जाती है और उसी दिन से उनकी विधिवत पूजा अर्चना की शुरुआत होती है.

-पूजा के छठवें दिन बंगाली औरतें लाल बॉर्डर की सफेद साड़ी पहन के सुबह पांच बजे से पूजा पंडालों में प्रभात फेरी पर निकालती हैं, जबकि दिल्ली में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता.

-नॉर्थ इंडिया में मां दुर्गा की प्रतिमाएं बंगाल की दुर्गा प्रतिमाओं से कई मायनों में अलग होती है. दिल्ली के सीआर पार्क, जिसे दिल्ली का मिनी कोलकाता भी कहा जाता है. वहां लगने वाले पूजा पंडालों में जो मूर्तियां सजती हैं उनके स्वरूप में बंगाली टच साफ देखा जा सकता है.

-इन मूर्तियों के घुंघराले काले लंबे बाल, मछली के आकार की बड़ी- बड़ी आंखे, उनका श्रृंगार सब कुछ बंगाली कल्चर के अनुसार होता है. जबकि नॉर्थ इंडिया में दुर्गा पूजा में मां दुर्गा को सिंह पर सवार दिखाया जाता है और उनके स्वरूप में उत्तरी भारत की झलक दिखती है.

लाखों रुपये में बनकर तैयार होगा पंडाल

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दिल्ली के चित्तरंजन पार्क में पंडाल बनाने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. यहां बंगाल से कारीगर बुलाए गए हैं जो दिन रात पंडाल बनाने का काम कर रहे हैं. इस बार पंडाल को खासतौर बनाया गया है. यह फायरप्रूफ और वॉटरप्रूफ होगा. जानकारी के मुताबिक किसी भी तरह की दुर्घटना से इस पंडाल को कोई क्षति नहीं होगी. इस पंडाल को बनाने में करीब 16 से 20 लाख रुपये का खर्च आएगा और पूरी तरह से स्टेज और तमाम चीजें बनाकर तैयार करने में कुल खर्च 40 से 45 लाख रुपये का होगा.

यहां हर दिन अलग- अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इसके साथ ही बंगाली कम्युनिटी की महिलाएं भी कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करेंगी जिसमें हैंडलूम और घर के बने पकवानों की सेल काफी लोकप्रिय है.

दिल्ली के चित्तरंजन पार्क का मेला ग्राउंड दिल्ली और आसपास के इलाकों में काफी मशहूर है. लोग दूर-दराज से इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं. यहां आयोजित होने वाली पूजा बिल्कुल बंगाली अंदाज में की जाती है. दुर्गा पूजा करीब है और मूर्तियों के निर्माण का कार्य जोरों से चल रहा है.

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