देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस नातुलापति वेंकट रमणा ने शनिवार को शपथ ली. शनिवार सुबह 11 बजे आयोजित समारोह के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. बता दें कि पूर्व सीजेआई एसए बोबडे 23 अप्रैल यानी शुक्रवार को रिटायर हुए थे. जस्टिस रमणा अब 26 अगस्त 2022 तक भारत के मुख्य न्यायधीश के पद पर आसीन रहेंगे. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मौजूद रहे.
डेढ़ साल से भी कम वक्त तक CJI रहेंगे जस्टिस रमणा
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रमणा का कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक है. यानी वो डेढ़ साल से भी कम समय के लिए CJI के पद पर रहेंगे. वरिष्ठता के मामले में वो पूर्व सीजेआई एसए बोबडे के बाद दूसरे सुप्रीम कोर्ट में दूसरे स्थान पर थे. वो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे जो सीजेआई बनेंगे. 24 अप्रैल को शपथ ग्रहण कर जस्टिस रमणा 26 अगस्त 2022 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे.
किसान परिवार में हुए पैदा
आंध्र प्रदेश में 27 अगस्त, 1957 को कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में किसान परिवार में पैदा हुए नातुलापति वेंकट रमणा ने विज्ञान और कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की है. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. जस्टिस रमणा ने 10 फरवरी 1983 को वकील के रूप में न्यायिक करियर शुरू किया. 27 जून 2000 को वो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए. उन्होंने 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम किया.
न्यायाधीश रमणा को दो सितंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया. 17 फरवरी 2014 को वो दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए. यहां वो कई चर्चित और अहम मुकदमों की सुनवाई करने वाली पीठ की अगुआई की या फिर पीठ के सदस्य रहे. इनमें इंटरनेट के जरिए सूचना पाने के अधिकार को मौलिक अधिकारों के दर्ज में शामिल करना अहम है.