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दिल्ली: मुस्लिमों ने 50 साल पुराने मंदिर को टूटने से बचाया, जानिए क्या है मामला?

इस साल अगस्त में मंदिर परिसर में तोड़फोड़ अभियान चलाने की शुरुआत हुई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने पहले पुलिस का रुख किया, इसके बाद वे साउथ दिल्ली नगर निगम पहुंचे. इस दौरान परिसर के अंदर बनी धर्मशाला को तोड़ दिया गया.

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दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मंदिर तोड़ने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे मुस्लिम
  • हाईकोर्ट ने दिया मुस्लिमों के हक में फैसला

मुस्लिम बहुल जामिया नगर के वार्ड नंबर 206 के रहने वाले लोगों ने इलाके के एक मात्र हिंदू मंदिर को बचाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. 53 साल की प्रेमवती का जन्म और पालन पोषण भी मुस्लिम बहुल नूर नगर में हुआ. वे अपने भाई की शादी की फोटो दिखाते हुए याद करती हैं कि इस मंदिर परिसर के अंदर तमाम धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक कार्यक्रम हुए. उन्होंने बताया कि मंदिर के अंदर एक धर्मशाला है. जहां उनके भाई की शादी हुई थी. 
 
आजतक से बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे मंदिर में हिंदुओं के कार्यक्रमों का आयोजन होता है. कैसे इसमें बनी धर्मशाला का इस्तेमाल शादी के लिए हॉल के तौर पर किया जाता है. जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों की शादियां होती हैं. 
 
प्रेमवती अकेली ऐसी महिला नहीं हैं, जिनके पास मंदिर से जुड़ीं यादों हों. यहां मंदिर के मुख्य गेट के सामने रहने वाले एक मुस्लिम समुदाय के वृद्ध शख्स ने बताया कि वे कैसे उस कमेटी का हिस्सा थे, जो जन्माष्टमी का आयोजन करती थी. उन्होंने बताया कि जब वे युवा थे, तो धूमधाम से मंदिर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता था. उन्होंने बताया कि वे कमेटी के सदस्य थे और चंदा इकट्ठा करते थे. जो पैसा बचता था, उसे अगले साल त्योहार पर इस्तेमाल किया जाता था. 

ये सब बातें अब पुरानी हो गई हैं. सितंबर 2021 में मंदिर परिसर के गेट पर दो ताले लटका दिए गए. मंदिर की सुरक्षा में दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं. किसी को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. इस साल अगस्त में मंदिर परिसर में तोड़फोड़ अभियान चलाने की शुरुआत हुई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने पहले पुलिस का रुख किया, इसके बाद वे साउथ दिल्ली नगर निगम पहुंचे. इस दौरान परिसर के अंदर बनी धर्मशाला को तोड़ दिया गया. 

मंदिर टूटने के डर से वार्ड नंबर 206 की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ नूर नगर ने कोर्ट जाने का फैसला किया. एसोसिएशन के अध्यक्ष सैयद फौजुल अजीम ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और मंदिर की सुरक्षा और अवैध अतिक्रमण के प्रयासों को रोकने की मांग की. 
 
अजीम ने आजतक से बातचीत में बताया कि कुछ अज्ञात बदमाश मंदिर परिसर के अंदर के ढांचे को गिराकर अपार्टमेंट बनाना चाहते थे. जब उन्होंने धर्मशाला को तोड़ा, तो हमें लगा कि अब मंदिर अगला निशाना होगा, जो 1970 से मौजूद है. उन्होंने बताया कि यह एक शांतिपूर्ण इलाका है. हमारे पास 50-60 हिंदू परिवार हैं. हम इस तथ्य को सहन नहीं कर सके कि उनकी पूजा की जगह खतरे में है. मंदिर और पड़ोस में सद्भाव की रक्षा के लिए हमने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

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यह याचिका 23 सितंबर को दाखिल की गई. कोर्ट ने अगले दिन ऑर्डर भी दिया. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि नूर नगर मंदिर की सुरक्षा की जाए और वहां अवैध अतिक्रमण रोका जाए. साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पुलिस यह सुनिश्चित करे कि इलाके में शांति व्यवस्था बनी रहे. अब यहां पुलिस की तैनाती की गई है. 


 

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