बदहाल रैन बसेरों वाली दिल्ली में सर्दी बढ़ गई है. ऐसे में दिल्ली की नई नवेली सरकार को एक दिलचस्प सुझाव मिला है. एक ऑनलाइन चिट्ठी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अपील की गई है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों-मंत्रियों ने जो सरकारी बंगले खाली छोड़ दिए हैं, उन्हें नए 'रैन बसेरों' में तब्दील कर दिया जाए.
गौरतलब है कि दिल्ली में कई सरकारी बंगले खाली पड़े हैं क्योंकि आम आदमी पार्टी के विधायकों ने उन्हें लेने से इनकार कर दिया. दिल्ली में ठंड बढ़ गई है. शिक्षा और पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया सोमवार रात रैन बसेरों के दौरे पर भी गए थे.
यह चिट्ठी दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर सुबी चतुर्वेदी ने लिखी है. इस पर वह ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन सिग्नेचर जमा करने में लगी हैं ताकि इस सुझाव को मजबूती से दिल्ली के सीएम के सामने रखा जा सके.
इस ऑनलाइन पेटिशन में लिखा गया है, 'नई दिल्ली में खाली पड़े सरकारी बंगलों को सड़क पर रहने वाले बच्चों, बेघर लोगों और सरकारी अस्पतालों में अपनों का इलाज कराने आए तीमारदारों के लिए नाइट शेल्टर में तब्दील कर दिया जाए.'
ऐसे समय में जब दिल्ली के नजदीक मुजफ्फरनगर में ठंड और बदइंतजामी कैंपों में रह रहे दंगा पीड़ित परिवारों के 34 मासूम बच्चों की जान ले चुकी है, इसे बेहद उपयोगी सुझाव माना जा सकता है. गौरतलब है कि AAP की इन मसलों पर संवेदनशील पार्टी की छवि है. बीते दिनों, जब आम आदमी पार्टी सत्ता में भी नहीं थी, अक्षरधाम के पास झुग्गियां ढहाने पहुंची एनडीएमसी की टीम को उन्होंने बैरंग लौटा दिया था. पार्टी का तर्क था कि समुचित इंतजाम होने तक इस ठंड में गरीबों को बेघर करना ठीक नहीं है.
इस ऑनलाइन पेटिशन में कहा गया है, 'नई दिल्ली में कम से कम 50,000 बच्चे सड़कों पर रहते हैं. उनमें से कई को आम आदमी की टोपी पहने देखा गया है. यह सराहनीय है कि आपने सत्ता के साथ मिलने वाली सुविधाओं को नकार दिया है. लिहाजा शहर में कई सरकारी बंगले खाली पड़े हैं और कई पर अब भी ऐसे लोगों का कब्जा है जो इसका अधिकार खो चुके हैं. चूंकि गरिमामय जीवन जीना हर शख्स का अधिकार है. इसलिए इन बंगलों को जरूरतमंदों के लिए रैन बसेरों में तब्दील कर दिया जाए.'
इस ऑनलाइन पेटिशन में सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए कानूनी पहचान, सरकारी योजनाओं और शिक्षा के अधिकार का फायदा और बाल श्रम के दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है. अगर आप इस पेटिशन से सहमत हैं तो यहां जाकर इस पर साइन कर सकते हैं.