दिल्ली मेट्रो के पटेल नगर मेट्रो स्टेशन पर एक चलती ट्रेन के अंदर से धुआं निकलने लगा. पहले तो मुसाफिरों को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब ट्रेन की छत से धुएं का गुबार उठने लगा, तो मुसाफिरों की सांस अटक गई. मेट्रो स्टेशन पर मौजूद स्टाफ के भी होश उड़ गए, क्योंकि जिस वक्त मेट्रो की छत से गुबार उठ रहा था, तब ट्रेन के अंदर सैंकड़ों मुसाफिर मौजूद थे. मेट्रो ट्रेन को रोका गया और सभी मुसाफिरों को राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन पर बाहर निकाला गया. लेकिन ये फैसला लेते लेते धुएं के गुबार के साथ ही मेट्रो पटेल नगर से राजेंद्र प्लेस तक पहुंच गई. ऐसे में मेट्रो की लापरवाही भी सामने आयी कि आखिर चार स्टेशनों तक मेट्रो के मुसाफिरों की जान को खतरे में क्यो डाला गया.
यात्रियों के मुताबिक सबसे पहले यात्रियों ने कीर्तिनगर पर ट्रेन के ड्राइवर को धुआं निकलने के बारे में बताया था. लेकिन तब इसे सामान्य घटना समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया गया. लेकिन पटेलनगर तक पहुंचते एसी सिस्टम से निकल रहा हल्का धुआं बड़े गुबार में बदल गया. जब धुआं गुबार में बदल गया तभी मेट्रो के स्टाफ को भी हालात की गंभीरता का एहसास हुआ. तब तक ट्रेन मुसाफिरों के साथ ही आगे बढ़ती रही और राजेंद्र प्लेस पर जाकर मेट्रो से मुसाफिरों को उतारने का फैसला लिया गया.
अब इस पूरे मामले पर डीएमआरसी ने जांच बैठा दी है. क्योंकि नियम के मुताबिक मेट्रो को जब मुसाफिरों के इस्तेमाल के लिए ट्रैक पर उतारा जाता है, तो सारी जांच पड़ताल की जाती है और सबकुछ ठीक होने के बाद ही उसमें मुसाफिरों को ढोने की इजाजत दी जाती है. लेकिन इस मेट्रो ट्रेन के एसी सिस्टम में न सिर्फ शार्ट सर्किट हुआ, बल्कि धुएं का ऐसा गुबार उठा जिसे सामान्य घटना नहीं कहा जा सकता. ये मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि जिस वक्त घटना हुई, उस वक्त ट्रेन में 1000 से ज्यादा मुसाफिर मौजूद थे.
डीएमआरसी सूत्रों के मुताबिक जब ट्रेन खाली करा ली गई और इसे मेंटेनेंस के लिए डिपो में ले जाते वक्त भी एक बार फिर ट्रेन ने आग पकड़ ली. अब मेट्रो के अफसर जांच की बात कर लीपापोती करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बात को कहने से बच रहे हैं कि आखिर इस लापरवाही के लिए पहली नज़र में कोई जवाबदेह है या नहीं.