श्रीराम तैयार हैं अपनी लीलाएं दिखाने को. परंपरा पुरानी है, लेकिन ज़माना नया है और आधुनिक भी, इसलिए अगर आप वहां तक नहीं जा सकते, जहां श्रीराम साक्षात् हैं, तो चलिए इस बार श्रीराम आपको ट्विटर पर भी मिल जाएंगे और फेसबुक पर भी.
दिल्ली की तमाम रामलीला कमेटियों ने न सिर्फ रामलीला के मंचन में हाइटेक प्रयोग किए हैं, बल्कि ये ज्यादा से ज्यादा लोगों तक देश-विदेश में पहुंचे, इसके लिए भी दुरुस्त इंतज़ाम किए हैं. लवकुश कमेटी के सेक्रेटरी अर्जुन कुमार कहते हैं कि युवा पीढ़ी को अगर धर्मग्रंथों और इतिहास से रूबरू कराना है, तो कुछ नया करना होगा. इसीलिए वो वेब के ज़रिए भी रामलीला सात समंदर पार तक पंहुचा रहे हैं.
इतिहास भी वर्तमान के बिना अधूरा है, इसलिए इस बार कुछ रामलीला कमेटियों ने तीन नहीं, चार पुतले दहन करने की ठानी है. ये चौथा पुतला महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ होगा.
आक्रमण, कुंभकरण वध, लंकादहन- ये तमाम ऐसे प्रकरण हैं, जिनके लिए आयोजकों ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया है. श्रीनवधार्मिक रामलीला कमेटी के प्रचार मंत्री कहते हैं, 'हम 1958 से रामलीला करते आए हैं. हमारे पास रथ, सिंहासन, आभूषण, सब परंपरा की तरह आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन परंपरा के साथ आधुनिकता का मेल होगी यह रामलीला.'
कुर्सिंयां, मंच सब सजकर तैयार हो रहे हैं. बच्चों और बच्चों के मन वाले बड़ों के लिए झूले भी तैयार हैं. खाने-पीने के शौकीनों के लिए स्टॉल लग गए हैं. बस अब इंतज़ार है तो इस मंच पर सजीव रामलीलाओं को देखने का...