क्या मां-बाप इतने लापरवाह हो सकते हैं कि उनके बच्चे की जान पर बन आए? ऐसी ही एक घटना दिल्ली में सामने आई है, जहां मां-बाप की लापरवाही के चलते दो साल के मासूम हर्षित ने तेजाब पी लिया. उसे गंभीर हालत में गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया.
डॉक्टरों ने उसकी एंडोस्कोपी की और पाया कि तेजाब के कारण उसकी फूड पाइप और पेट का कुछ भाग बुरी तरह से जल गया था. फूड पाइप में छाले पड़ गए थे, इलाज शुरू हुआ और अभी तक चल रहा है. फिलहाल हर्षित कुछ खा नहीं सकता है, उसे आईवीफ्लूइड बाहर से दिया जा रहा है.
8 सितंबर को हर्षित ने पिया था तेजाब
आठ सितंबर का दिन हर्षित के मां-बाप शायद ही कभी भूल पाएंगे. हर्षित की मां ने तेजाब को एक पानी की बोतल में भर कर रखा था, उसकी मां गलती से वो बोतल बाथरूम के बाहर भूल गई और किसी दूसरे काम व्यस्त हो गई. नन्हा हर्षित खेलते हुए वहां पहुंचा और पानी समझकर तेजाब पी लिया. बस उसकी हालत खस्ता हो गई. मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. उसे पहले एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया लेकिन वहां उसका इलाज शुरू नहीं हो सका. फिर उसे गंगाराम लाया गया.
गंगाराम में तुरंत शुरू हुआ इलाज
गंगाराम में डॉक्टरों ने मामले की गंभीरता को समझते हुए हर्षित का तुरंत इलाज शुरू किया. इस समय हर्षित के छाले सूख रहे हैं. हर्षित को देख रहे यहां के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ निशांत का कहना है कि ये समय आने पर पता चलेगा कि क्या हम उसकी फूड पाइप फिर से खोल पाते हैं, उन्होंने बताया कि छालों के कारण फूड पाइप बुरी तरह से सिकुड़ जाती है. एक तरीका है कि छाले ठीक होने के बाद एंडोस्कोपी की मदद उसे खोला जाए और अगर ये संभव नहीं हुआ तो हर्षित को नया जीवन देने के लिए उसकी कृत्रिम फूड पाइप बनानी पड़ेगी. डॉक्टरों को भी इंतजार है कि कब हर्षित के छाले सूखें और कब उसका आगे इलाज हो सके. फिलहाल हर्षित के मां-बाप को भी अपनी गलती का पूरी तरह से अहसास हो गया है, उन्हें अब इंतजार है हर्षित के ठीक होने का.
इससे पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
डॉ. निशांत के अनुसार ये अकेला मामला नहीं है हर साल उनके पास 20-30 ऐसे मामले आते हैं, जहां मां-बाप की लापरवाही से बच्चे कुछ न कुछ कैमिकल पी लेते हैं. उनके अनुसार घर में कैमिकल या तेजाब जैसे पदार्थ बच्चों की पहुंच से दूर होने चाहिए और उन्हें कभी भी किसी कोलड्रिंक या पानी की बोतल में नहीं भरना चाहिए. वो जिस पैकिंग में हैं, उसमें रखना चाहिए. उनका ये भी कहना है कि कभी किसी के घर ऐसा हादसा हो जाए तो बच्चे को कुछ खिलाना-पिलाना नहीं चाहिए, उल्टी बिल्कुल नहीं करानी चाहिए, बच्चे को सीधा लिटाकर तुरंत अस्पताल लाना चाहिए. ये हादसा सबक है उन सभी मां-बाप के लिए जिनके बच्चे छोटे हैं, नादान हैं और हर चीज को खाने-पीने की कोशिश करते हैं.