केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के पांच बड़े अस्पतालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. सरकार ने फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट, धर्मशीला कैंसर इंस्टीट्यूट, साकेत स्थित मैक्स, पुष्पावती सिंघानिया और शांति मुकुंद अस्पताल पर 600 करोड़ का जुर्माना लगाया है. इन अस्पतालों पर आर्थिक रूप से पिछड़े मरीजों और जरूरतमंदों का इलाज नहीं करने का आरोप है.
तय शर्तों से भाग नहीं सकते निजी अस्पताल
दिल्ली की स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया, 'अस्पतालों को इसी शर्त पर सस्ती जमीन मुहैया कराई जाती है कि वे गरीब लोगों का फ्री में इलाज करेंगे. इन अस्पतालों ने ऐसा नहीं किया है. इन्हें लगातार नोटिस दिए जाने पर भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला.' उनका कहना है कि सरकार गरीबों के इलाज को लेकर बेहद गंभीर है और निजी अस्पताल तय शर्तों से भाग नहीं सकते.
जुर्माना नहीं भरने पर होगी कार्रवाई
जैन ने ये भी कहा कि अगर ये अस्पताल एक महीने के अंदर जुर्माने की रकम नहीं भरते हैं, तो उन पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने अब तक कुल 43 निजी अस्पतालों को कम कीमत पर जमीन इस शर्त पर मुहैया कराई है कि वो अस्पतालों में 10 फीसदी बेड गरीबों के लिए आरक्षित रखेंगे.
अस्पतालों ने लौटाएं सैकड़ों मरीजों के कागजात
इन बड़े निजी अस्पतालों में गरीब मरीजों के हक की लड़ाई लड़ रहे दिल्ली हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने कोर्ट में सैकड़ों ऐसे गरीब मरीजों के कागजात जमा कराए हैं, जिनका इलाज करने से अस्पतालों ने मना कर दिया था. ये सबूत अपने आप में पूरा मामला बताने में काफी है. बता दें, अग्रवाल इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से गठित एक देखरेख समिति के सदस्य भी हैं.
बाकी अस्पतालों पर भी हो सकती है कार्रवाई
तमाम अस्पतालों के प्रशासन इस पूरे मामले पर एकजुट होने की तैयारी कर रहे हैं. इन्हीं अस्पतालों से जुड़े कुछ आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया है कि गरीबों का इलाज करने में उन्होंने कोई कोताही नहीं बरती है. सरकार के मनमाने फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का रास्ता उनके सामने खुला है. वहीं, सरकार में बैठे सूत्र ये बता रहे हैं कि अभी तो सिर्फ पांच अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है. ये फेहरिस्त लंबी है और बाकी निजी अस्पतालों के खिलाफ भी जल्दी ही सरकार डंडा चला सकती है.