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मेट्रो किराए पर माकन ने दायर की याचिका, DMRC और दिल्ली सरकार को नोटिस

मेट्रो के लगातार बढ़ रहे किराए को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो और केजरीवाल सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. गौरतलब है कि यह याचिका दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दायर की थी.

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दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट

मेट्रो के लगातार बढ़ रहे किराए को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने एक अर्जी लगाई है. इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएमआरसी और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही कहा कि मेट्रो के किराए बढ़ने को लेकर सरकार अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखे कि क्या मेट्रो किराए को कम किया जा सकता है? कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन की तरफ से लगाई गई याचिका में मेट्रो के किराये को सब्सिडी देकर कम करने की बात कही गई है.

अजय माकन की तरफ से लगाई गई अर्जी में कहा गया है कि डीटीसी के फेरों में कमी की जा रही है. दूसरी तरफ मेट्रो के किराए में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे मेट्रो से सफर करना आम लोगों के लिए महंगा साबित हो रहा है. अजय माकन ने आरटीआई से मिली जानकारी को भी कोर्ट के साथ साझा करके बताया है कि 2017 में अक्टूबर में बढ़ाए गए किरायों के बाद डीएमआरसी ने हर रोज मेट्रो से सफर करने वाले करीब तीन लाख यात्रियों को खोया है.

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अर्जी में कहा गया है कि मेट्रो के किराए बढ़ने और हर रोज तीन लाख यात्रियों के कम होने के बाद भी मेट्रो को सिर्फ 755 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिल रहे हैं. अर्जी में कहा गया है कि दिल्ली सरकार और केंद्र में बीजेपी सरकार ये 755 करोड़ रुपए की सब्सिडी डीएमआरसी को दें, जिससे वापस 3 लाख यात्रियों को मेट्रो से जोड़ा जा सके. अजय माकन ने अपनी याचिका में कहा है कि अगर यह सब्सिडी केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाते हैं तो गरीबों, छात्रों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए मेट्रो से सफर करना दोबारा आसान हो जाएगा, जो किराया बढ़ने के बाद मेट्रो से सफर महंगा होने की वजह से नहीं कर पा रहे हैं.

याचिका में खासतौर से कहा गया है कि मेट्रो के किराए में हुई बढ़ोतरी के कारण लोगों को सड़क से यात्रा करनी पड़ रही है, जिसकी वजह से वाहनों का प्रदूषण सड़कों पर और बढ़ गया है. मेट्रो से सफर नहीं कर पा रहे ज्यादातर लोग टू व्हीलर्स का इस्तेमाल करते हैं. या फिर ई रिक्शा जैसी परिवहन सेवा को ले रहे हैं.

लिहाजा अगर मेट्रो की दरों में सब्सिडी देकर कमी की जाती है तो सड़कों पर वाहनों की संख्या अपने आप कम हो जाएगी. इस मामले में कोर्ट 27 सितंबर को अब दोबारा सुनवाई करेगा लेकिन उससे पहले डीएमआरसी और दिल्ली सरकार को इस मामले में अपना पक्ष कोर्ट को हलफनामा की शक्ल में देना होगा.

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