दिल्ली समेत उत्तर भारत के तमाम इलाकों में धूल और धुएं की वजह से हवा में प्रदूषण जबरदस्त तरीके से बढ़ा हुआ है. नासा के सैटेलाइट से खींची गई ये वो तस्वीर है जिसमें उत्तर भारत के तमाम इलाकों में धुएं की चादर को आसानी से देखा जा सकता है.
धुएं की ये चादर पंजाब से लेकर यूपी और बिहार तक हिमालय के तराई वाले इलाकों में फैली हुई है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी यानी आईआईटीएम की दिल्ली में मौजूद ऑब्जर्वेटरी ने जो आंकड़े दिए हैं उसके मुताबिक हवा में 2.5 पीएम कणों की मौजूदगी तकरीबन सेफ लेवल के मुकाबले तीन गुना ज्यादा बनी हुई है.
पीएम 2.5 वो कण हैं जो इतने छोटे होते हैं कि आंखों से नजर नहीं आते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक पीएम 2.5 वो महीन कण जिनका आकार 2.5 माइक्रॉन से भी कम होता है. पीएम 2.5 की मौजूदगी दीवाली के पहले से ही बढ़ी हुई है और दीवाली के बाद इसमें जोरदार इजाफा देखा गया था.
आईआईटीएम के मुताबिक दिल्ली समेत उत्तर भारत में हवा में बहुत ज्यादा बहाव नहीं है और तापमान में गिरावट के साथ ही मिक्सिंग हाइट भी नीचे आ चुकी है लिहाजा हवा में प्रदूषण में खतरनाक इजाफा हुआ है. जानकारों का कहना है कि दिल्ली समेत उत्तर भारत के तमाम इलाकों में वायु प्रदूषण में फिलहाल कमी नहीं होने जा रही है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक राजधानी की हवा में पीएम 10 यानी आंख से नजर आने वाले धूल कणों की मात्रा भी सेफ लेवल के मुकाबले तकरीबन ढाई गुना बनी हुई है. इन कणों से आसमान में धुंधलापन तो जरूर नजर आता है लेकिन ये पीएम 2.5 के मुकाबले ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं, क्योंकि हमारी नाक पीएम 10 कणों को रोक लेती है लिहाजा ये फेफड़ों में नहीं पहुंच पाते हैं.
वहीं दूसरी तरफ पीएम 2.5 कण इतने महीन होते हैं कि ये आंख को तो दिखते ही नहीं हैं लेकिन नाक भी इनको रोक नहीं पाती है. लिहाजा पीएम 2.5 की बढ़ी हुई खतरनाक मात्रा इस हवा में सांस लेने वाले हर एक व्यक्ति के फेफड़े में बैठ रही है. जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन खींचने की ताकत कम होती जाती है.
इस वजह से अस्थमा, कैंसर और सिल्कोसिस जैसी बीमारियों के साथ साथ दिल का दौरा पड़ने की आशंका भी बढ़ जाती है. लिहाजा उत्तर भारत के हवा को जहरीला कहा जा सकता है. इससे बचने के लिए जबतक जरूरत न हो घरों से बाहर न निकलें.