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GST काउंसिल की बैठक के बाद सिसोदिया का आरोप, बीजेपी शासित राज्यों ने जरूरी वस्तुओं पर छूट का विरोध किया

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज ये कड़वा सच है कि मास्क, सैनिटाइजर जैसी वस्तुएं लोगों के मासिक बजट का हिस्सा बन चुकी हैं, लोग जब हर महीने मास्क और सैनिटाइजर खरीदने में 500-500 रुपये खर्च करते हैं तो सोचते हैं कि क्या उन्हें इनपर टैक्स देने से बचत मिलेगी या नहीं.

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सिसोदिया का बीजेपी पर गुस्सा फूटा (पीटीआई)
सिसोदिया का बीजेपी पर गुस्सा फूटा (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिसोदिया का फूटा बीजेपी पर गुस्सा
  • जरूरी वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स पर बवाल

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को जीएसटी कॉउंसिल की मीटिंग में सैनिटाइजर, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वैक्सीन, थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की मांग की. लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों के वित्तमंत्रियों ने इस पर आपत्ति जताई और इन वस्तुओं पर टैक्स बनाए रखने का निर्णय लिया. 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज देशभर के लोगों की जीएसटी काउंसिल की बैठक पर निगाह लगी हुई थी. लोग सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे थे. उम्मीद थी कि महामारी से लड़ने के लिए जरूरी वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाएगा. लेकिन काउंसिल में बीजेपी शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों सहित केंद्रीय वित्त मंत्री ने इसके उलट निर्णय लिया.

काउंसिल की बैठक में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज ये कड़वा सच है कि मास्क, सैनिटाइजर जैसी वस्तुएं लोगों के मासिक बजट का हिस्सा बन चुकी हैं, लोग जब हर महीने मास्क और सैनिटाइजर खरीदने में 500-500 रुपये खर्च करते हैं तो सोचते हैं कि क्या उन्हें इनपर टैक्स देने से बचत मिलेगी या नहीं. कोरोना के कारण आम आदमी एक ओर जहां पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, ऐसे में इन जरूरी वस्तुओं पर टैक्स लगाना कहा तक जायज है.

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जरूरी वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स पर बवाल

सिसोदिया ने जोर देकर कहा कि ब्रिटेन में तेज़ी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना है. इस समय राज्य और केंद्र सरकार मिलकर प्राइवेट और सरकारी हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए निवेश कर रही है. लेकिन जब सरकार किसी निजी अस्पताल को 10 लाख रुपये खर्च कर अपने बेड को वेंटीलेटर बेड में तब्दील करने को कहती है तो अस्पतालों के मन में ये सवाल ज़रूर आता है कि 10 लाख रुपये निवेश करने के साथ-साथ उन्हें 50 हज़ार रुपये टैक्स भी देना होगा. इस वजह से वे निवेश के प्रति उदासीन हो जाते हैं.

मनीष सिसोदिया की माने तो दिल्ली सहित कई राज्यों के वित्तमंत्रियों ने सैनिटाइजर, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वैक्सीन जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर लाने की मांग का समर्थन किया लेकिन केंद्र और भाजपा शासित राज्यों के वित्तमंत्रियों ने इसका समर्थन नहीं किया.

दिल्ली सरकार की केंद्र से अपील

दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय के इस निर्णय से असहमति जताई है और अपील की है कि संकट के इस दौर में जब आम आदमी की कमाई बंद हो गई है और वो मेडिकल खर्चों से घिर गया है, उस दशा में आवश्यक मेडिकल वस्तुओं पर टैक्स लगाकर कमाई ना की जाए.

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बता दें कि शनिवार को हुई इस जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में कई जरूरी फैसले लिए गए. एक तरफ ब्लैक फंगस की दवा को टैक्स फ्री कर दिया गया तो वहीं रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन पर भी जीएसटी 12 प्रतिशत से घटा 5 प्रतिशत कर दिया गया. वैक्सीन पर पहले की तरह ही पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

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