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दिल्ली: नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी DU प्रोफेसर ने दिया इस्तीफा

घटना पिछले साल दिसंबर में हुई थी, जब प्रोफेसर पर एक नाबालिग छात्रा का यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. प्रोफेसर विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण प्रकोष्ठ में एक प्रमुख पद पर हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप है, जिसे लेकर छात्र विरोध कर रहे थे. छात्रों के भारी विरोध के बाद बुधवार को प्रोफेसर ने इस्तीफा दे दिया. कथित घटना पिछले साल दिसंबर में हुई थी, जब प्रोफेसर पर एक नाबालिग छात्रा का यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. प्रोफेसर विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण प्रकोष्ठ में एक प्रमुख पद पर हैं.

कई छात्र संगठन ने किया विरोध
वामपंथी संगठनों ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के साथ-साथ आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) सहित विभिन्न समूहों के छात्रों ने प्रोफेसर के निलंबन की मांग करते हुए बुधवार को प्रदर्शन किया. सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो में विरोध प्रदर्शन हिंसक होता हुआ दिख रहा है. दरअसल, कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने लाठी लेकर कैंपस में छात्रों पर हमला किया, जिससे विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया.

आइसा और एसएफआई ने आरोप लगाया कि हमलावर एबीवीपी के सदस्य थे, जबकि एबीवीपी ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे.

इससे पहले कॉलेज के प्रिंसिपल अजय अरोड़ा ने कहा कि प्रोफेसर के खिलाफ जांच चल रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अरोड़ा ने कहा, 'इस मामले की जांच कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) द्वारा की जा रही है. प्रशासन छात्रों के दबाव में काम नहीं कर सकता.' उन्होंने कहा, 'हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी.' 

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एक बयान में AISA ने ABVP सदस्यों पर विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और अंग्रेजी विभाग के एक संकाय सदस्य पर हमला करने का आरोप लगाया. AISA ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी प्रोफेसर बार-बार अपराध करते हैं. उन्होंने 2021 की एक शिकायत का हवाला देते हुए इसी तरह की चिंता जताई थी. 

छात्र संगठन का एक दूसरे पर आरोप
समूह ने मौजूदा शिकायत पर समय पर कार्रवाई नहीं करने के लिए ICC की आलोचना की, जो 10 दिन पहले दर्ज की गई थी. एसएफआई ने भी हिंसा की निंदा की और एबीवीपी पर छात्रों पर हमला करने और उनके विरोध को बाधित करने का आरोप लगाया.

एबीवीपी ने दी सफाई
वहीं, अपने बयान में एबीवीपी ने हिंसा में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया और दावा किया कि प्रोफेसर का इस्तीफा उनके द्वारा छह घंटे तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद आया है. एबीवीपी ने कहा कि वह पुलिस शिकायत दर्ज करने सहित प्रोफेसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने वाला पहला संगठन था. छात्र संगठन ने यह भी कहा कि उसके सदस्यों ने अपनी मांगों को उजागर करने के लिए प्रोफेसर के कार्यालय को बंद कर दिया.

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