दिल्ली में बुधवार को 14 साल बाद सबसे गर्म रात रही और न्यूनतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. यह इस मौसम के सामान्य तापमान से आठ डिग्री अधिक है. अधिकतम तापमान औसत से 4.8 डिग्री अधिक 43.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दिल्ली में पिछली सबसे गर्म रात 3 जून, 2010 को दर्ज की गई थी, जब न्यूनतम तापमान 34.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. IMD के एक अधिकारी ने कहा कि इस रिकॉर्ड का पता लगाने के लिए दिल्ली के बेंचमार्क सफदरजंग ऑब्जर्वेटरी के 1969 तक के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया.
अधिकारी ने कहा, 'इसके साथ ही दिल्ली में न्यूनतम तापमान जून महीने के लिए अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. मौजूदा लू की स्थिति के कारण दिल्ली 'ऑरेंज' अलर्ट पर है.' 12 मई से शहर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है.
16 दिन पारा 45 डिग्री सेल्सियस
IMD के आंकड़ों के अनुसार, इन 36 दिनों में शहर में 16 दिन ऐसे रहे जब पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा या उससे अधिक रहा. IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, गुरुवार को शहर में ताजा पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की बारिश हो सकती है.
उधर गर्मी से दिल्ली के अस्पतालों में हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतों में वृद्धि देखी जा रही है. दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अधिकारियों ने पिछले दो दिनों में 22 रोगियों को भर्ती किया. इसमें पांच मौतें हुई हैं और 12 से 13 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं.
सफदरजंग अस्पताल में हीटस्ट्रोक के कुल 60 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 42 को भर्ती कराया गया है. अस्पताल ने छह लोगों की मौत की सूचना दी है, जिनमें एक 60 वर्षीय महिला और एक 50 वर्षीय पुरुष शामिल हैं, जिनकी मंगलवार को मौत हो गई.
लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, पिछले दो दिन में हीटस्ट्रोक के कारण चार मरीजों की मौत हो गई है. अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया, 'मंगलवार को संदिग्ध हीटस्ट्रोक के कारण दो मौतें हुईं और बुधवार को भी दो लोग हताहत हुए. हीटस्ट्रोक के 16 मरीज भर्ती हैं.'
पीड़ितों में से एक की 15 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई. उसकी उम्र करीब 39 साल थी, वह एक मोटर मैकेनिक था, जो जनकपुरी में अपनी दुकान पर काम करते समय बेहोश हो गया था. जब उसे अस्पताल लाया गया था तो वह तेज बुखार से जूझ रहा था.
हीटस्ट्रोक के लक्षणों पर बात करते हुए अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मरीज शरीर में पानी की मात्रा घटने के कारण कभी-कभी बेहोश हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत तेज बुखार भी होता है, जिससे शरीर का तापमान 106 से 107 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है.