जो 'गुड़िया' गुड़ियों से खेलने की उम्र में ही दरिदों की दरिंदगी का शिकार हो गई, जिसकी जिंदगी के लिए देशभर में लोग दुआ कर रहे हैं. 'गुड़िया' फिलहाल देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में जिंदगी की जंग लड़ रही है.
5 साल की उम्र में मासूम को दरिंदगी के वो जख्म मिले हैं, जिन्हें सुनकर बड़े-बड़ों की रूह कांप जाए. फिर भी वह मौत को मात देने की कोशिश कर रही है. डॉक्टरों के मुताबिक, मासूम की हालत स्थिर तो है, लेकिन अभी तक चिंताजनक बनी हुई है. उसके शरीर के कुछ अंग अभी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं. डॉक्टर उस मासूम को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. दरअसल, दरिंदों ने मासूम के नन्हे से जिस्म के लगभग हर हिस्से पर दरिंदगी की दास्तान को कायरता की कलम से लिखा है. डॉक्टरों के मुताबिक, मासूम के पूरे जिस्म पर ही जख्मों के निशान थे. चेहरे से लेकर शरीर के अंदरूनी हिस्सों को इस कदर लूटा-खसोटा गया था कि सुनकर कलेजा कांप जाए.
बच्ची के पेट से प्लास्टिक की शीशी और मोमबत्ती का मिलना भी इंसानियत को शर्मसार करता है. बच्ची को लेकर पुलिस पहले दयानंद अस्पताल लेकर गई थी, लेकिन नाजुक हालत को देखते हुए मासूम को एम्स भेजा गया. डॉक्टरों की मानें, तो भी बच्ची को ठीक होने में अभी काफी वक्त लगेगा.
5 साल की 'गुड़िया' अस्पताल में ख़ामोश है, लेकिन उसके सैकड़ों चेहरे उभर आए हैं. उसकी हज़ारों ज़ुबान निकल आई हैं. हर कोई गुस्से से उबल रहा है, जैसे कह रहा हो कि दिल्ली से दरिंदों को निकाल फेंको. 'गुड़िया' की जिंदगी की दुआ करने के लिए कैंडल मार्च निकाला गया. हर जुबां पर मासूम की लंबी जिंदगी की दुआ है.
एम्स में भर्ती उस बच्ची के हौसले को सलाम था, जो दो दिनों तक दरिंदगी की हर हद झेलने के बाद भी मौत से जंग लड़ रही है. हर कोई जानता है कि ठीक होने के लिए अब उस मासूम को दवाओं से ज्यादा दुआओं और हौसले की जरूरत है.