दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार अब प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) को लेकर और कड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. हाल ही में हुई एक अहम बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं रखने वाले वाहन चालकों का चालान ₹10,000 का ही काटा जाए, ताकि नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जा सके.
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में पीयूसी सर्टिफिकेट न होने पर चालान तो कटता है, लेकिन अधिकांश वाहन चालक लोक अदालत के माध्यम से मात्र ₹100 का जुर्माना भरकर अपना चालान माफ करवा लेते हैं. इस वजह से पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने की अनिवार्यता व्यवहारिक रूप से कमजोर पड़ रही है.
सरकार का मानना है कि इस ढील का सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं जिनसे तय मानकों से अधिक प्रदूषण निकल रहा है. इसी को देखते हुए सरकार ने तय किया है कि अब पीयूसी सर्टिफिकेट न होने पर किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी और सीधे ₹10,000 का चालान लगाया जाएगा.
उदाहरण से समझिए सख्ती का असर
मान लीजिए किसी कार चालक का पीयूसी सर्टिफिकेट समाप्त हो चुका है और वह बिना रिन्यू करवाये वाहन चला रहा है. अब तक ऐसे मामलों में यदि चालान कटता भी था, तो चालक लोक अदालत में जाकर ₹100 जमा कर चालान निपटा लेता था. नई व्यवस्था लागू होने के बाद, उसी चालक को मौके पर या ई-चालान के जरिए पूरा ₹10,000 का जुर्माना भरना होगा, जिससे वह भविष्य में समय पर पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए मजबूर होगा.
अधिकारियों के मुताबिक इस फैसले का मुख्य उद्देश्य वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाना और लोगों को यह संदेश देना है कि पर्यावरण से जुड़े नियमों में अब कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि इस सख्ती के बाद पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी और राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार आएगा. फिलहाल इस प्रस्ताव को लागू करने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है और जल्द ही इसे औपचारिक रूप से अधिसूचित किया जा सकता है. सरकार प्रदूषण कम करने के लिए इस संभावना को भी तलाश रही है.