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दिल्ली की राजनीति में चुनाव प्रचार के लिए फ्लैश मॉब

जवां खून जब उबाल मारता है तो बदलाव तय है. डॉयलाग थोड़ा फिल्मी है लेकिन बात है सोलह आने सच. दिल्ली की राजनीति में ये प्रयोग इस बार जोर शोर से दिख रहा है. ना सिर्फ जवां चेहरों के साथ बल्कि राजनीति में कुछ युवा सोच के साथ. क्योंकि रैलियां, भाषण, पदयात्रा, रोड शो, ये सब तो आपने बहुत देखें होगें लेकिन युवाओं को ये अब रास नहीं आते. युवा उम्मीदवारों को यंगिस्तान की नब्ज पता है, इसलिए उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए फ्लैश मॉब जैसे ट्रेंडी स्टाइल को अपनाया है.

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जवां खून जब उबाल मारता है तो बदलाव तय है. डॉयलाग थोड़ा फिल्मी है लेकिन बात है सोलह आने सच. दिल्ली की राजनीति में ये प्रयोग इस बार जोर शोर से दिख रहा है. ना सिर्फ जवां चेहरों के साथ बल्कि राजनीति में कुछ युवा सोच के साथ. क्योंकि रैलियां, भाषण, पदयात्रा, रोड शो, ये सब तो आपने बहुत देखें होगें लेकिन युवाओं को ये अब रास नहीं आते. युवा उम्मीदवारों को यंगिस्तान की नब्ज पता है, इसलिए उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए फ्लैश मॉब जैसे ट्रेंडी स्टाइल को अपनाया है.

फ्लैश मॉब सोशल मैसेज देने का यंग जेनेरेशन का अपना स्टाइल है जहां अचानक कुछ लोग एकजुट होकर गाने बजाने या नाटक करने लगते हैं और अपनी बात कहकर फिर अलग हो जाते हैं जिस तेजी से ये भीड़ में अचानक आते हैं लोग भी हैरत से कहिए या उत्सुकता से इन्हें सुनने पर मजबूर हो ही जाते हैं और दिल्ली में इसे चुनाव प्रचार के लिए खूब किया जा रहा हैं.

राजनीति अब खालिस सियासी जोड़तोड़ भर नही है. दांव पेचों के अलावा तकनीक को आप इसमें शामिल किए बिना नहीं रह सकते. 33 साल के सौरभ लॉ ग्रेजुगट और बीटेक हैं मल्टीनेशनल कंपनी छोड़ के ग्रेटर कैलाश से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बने हैं. उनकी टीम में भी सारे नए चेहरे ही हैं. इसीलिए कहते हैं कोशिश चुनाव प्रचार के नए और ऐसे तरीके इस्तेमाल करने की है, जो जनता से सीधे कनेक्ट करें. मोबाइल, इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट राजनीति में अब इनका जमकर इस्तेमाल हो रहा है लेकिन फिर भी ये युवा जानते हैं कि जनता से सीधी बात भी उतना ही अहम है.

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यही वजह है कि बीजेपी के नकुल और कांग्रेस के नीरज बसोया जींस शर्ट में ही अपनी बाइक उठाए इलाके में निकल पड़ते हैं. युवा नेता अब नेता जैसा पहनावा पहनकर अपनी पहचान नहीं बनाना चाहते. ना ही नेता जैसे नखरे वह अख्तियार करते हैं. राजनीति रंग बदलती है सब जानतें हैं लेकिन राजनीति का ढंग बहुत कम ही बदलता है और इसी ढर्रे की राजनीति को बदलने के लिए युवा नेता कोशिश में जुटे हैं. नए है सो नयापन लाना फितरत भी है, और जरूरत भी.

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