दिल्ली दंगों की जांच को लेकर पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल SIC बनाई है. इसका नेतृत्व सेंट्रल जोन के स्पेशल कमिश्नर करेंगे. एसआईसी का गठन इसलिए किया गया है, ताकि नॉर्थ ईस्ट दंगों को लेकर दर्ज मामलों की जांच को तेज किया जा सके. हिंसा से जुड़े पेंडिंग केस की जांच सही समय पर पूरी हो सके और आरोपियों को सजा दिलाई जा सके.
SIC से दंगों के टेक्निकल और साइंटिफिक सबूत इकट्ठे करने के लिए कहा गया है. सेल के सभी अधिकारियों को अलग अलग टास्क देने के लिए कहा गया है, ताकि सभी केसों में अपेक्षित नतीजे आ सकें.
अंकित शर्मा केस में जांच के लिए मिलेगा पुरस्कार
इसके अलावा अंकित शर्मा मर्डर केस में सर्वश्रेष्ठ जांच के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को गृह मंत्रालय की ओर से उत्कृष्टता पुरस्कार दिया जाएगा. दंगाइयों द्वारा मारे गए आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में एसीपी संदीप लांबा की टीम ने जांच की थी.
फरवरी 2020 की शाम अंकित शर्मा की हत्या खजूरी खास इलाके में ताहिर हुसैन के घर के बाहर की गई थी. हत्या के बाद अंकित शर्मा का शव पास के ही नाले में फेंक दिया गया था. अगले दिन शव नाले से निकाला गया. छत पर खड़े एक चश्मदीद ने एक वीडियो बनाया था, जिसमें कुछ लोग शव को नाले में फेंकते हुए नजर आ रहे थे. पोस्टमॉर्टम में अंकित की बॉडी पर 51 चोट के निशान पाए गए थे.
ताहिर हुसैन समेत 10 लोग हुए गिरफ्तार
इस मामले में दयालपुर पुलिस स्टेशन में 26 फरवरी को केस दर्ज किया गया था. ताहिर हुसैन समेत 10 लोगों को इस केस में गिरफ्तार किया गया है. जांच में पता चला है कि हिंसा के पीछे और अंकित शर्मा की हत्या के पीछे बहुत गहरी साजिश थी. अंकित शर्मा को विशेषकर ताहिर हुसैन के नेतृत्व वाली भीड़ ने टारगेट किया. जांच में ये भी पाया गया है कि 24 और 25 फरवरी को चांद बाग इलाके में भीड़ को उकसाने वाला शख्स ताहिर हुसैन ही था.
टीम ने जांच के दौरान अंकित शर्मा पर हमले में इस्तेमाल किया गया खून से सना चाकू बरामद किया था. साथ ही हमलावर के खून लगे कपड़े भी बरामद हुए थे. हत्या में इस्तेमाल किया गया एक और चाकू भी जब्त किया गया.
फरवरी में हुए थे दंगे
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल 23 फरवरी से 26 फरवरी तक जमकर दंगे हुए थे. इस दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी. इन दंगों में 581 लोग घायल हुए थे. 24 और 25 फरवरी को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था. इन दंगो के मामले में कुल 755 एफआईआर दर्ज की गई थीं.
पुलिस ने दिल्ली दंगों की जांच के लिए 3 एसआईटी गठित की थी. क्राइम ब्रांच को 60 केस जांच के लिए सौंपे गए थे, जबकि 1 केस स्पेशल सेल ने दर्ज किया था. इन दंगों में जांच के दौरान 1818 गिरफ्तार किए गए थे. पुलिस अफसरों का दावा है कि जांच के लिए टेक्नोलॉजी की मदद ली गई. दंगाइयों का वीडियो एनेल्टीका, सीसीटीवी फुटेज का FRS एनेलाइजेशन किया गया था.