चीन में बिगड़ते कोरोना संक्रमण के हालात ने देश की चिंता जरूर बढ़ा दी है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा करोना के आंकड़े सतर्क रहने की ओर इशारा तो कर रहे हैं पैनिक करने की नहीं. 'आजतक' ने दिल्ली के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार से खास बातचीत की है.
डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट 0.14 प्रतिशत ही है. वहीं चीन से लेकर साउथ कोरिया, जापान और थाईलैंड में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. हालांकि अफवाहों पर ध्यान देने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है और ना ही पैनिक करने की जरूरत है क्योंकि दिल्ली में नए वेरिएंट का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है.
साथ ही अस्पतालों में मौजूदा कोरोना की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि LNJP अस्पताल में पिछले 3 हफ्ते से एक भी कोरोना वायरस का मरीज़ भर्ती नहीं हुआ है. डॉ. कुमार ने कहा कि बहुत से लोगों ने बूस्टर डोज अभी भी नहीं लगवाया है. ऐसे में जिन लोगों को गंभीर बीमारियां हैं और जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है उन्हें बूस्टर डोज जरूर लगवाना चाहिए.
डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि बूस्टर डोज लेने से कोरोना के किसी भी वेरिएंट से बचा जा सकता है. हालांकि BF.7 वेरिएंट नया है इसकी कोई साइंटिफिक स्टडी अब तक सामने नहीं आई है. लेकिन भारत की वैक्सीन सभी वेरिएंट और सब वेरिएंट के खिलाफ प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी बनाती है.
बूस्टर डोज ना लगवाने के पीछे क्या वजह है? इस सवाल पर डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि ज्यादातर मेडिकल स्टाफ बूस्टर डोज ले चुका है और बाकी बचे स्टाफ को बूस्टर डोज लेने के लिए निवेदन किया गया है. वहीं पिछले कुछ महीनों से कोरोना संक्रमण न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. आम लोगों के लिए कोरोना अब एक प्रॉब्लम नहीं रहा है. काफी लोगों ने वैक्सीन के 2 डोज लगवाए हैं और कई लोगों को नेचुरल इम्यूनिटी भी प्राप्त हुई है. ऐसे में लोग सोचते हैं कि कोरोना अब नहीं आएगा लेकिन कोरोना के नए रूप से बचने के लिए बूस्टर डोज ज़रूरी है.
डॉ. सुरेश कुमार ने हैरान करने वाली जानकारी भी साझा की. उन्होंने बताया कि जब-जब कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता है तो वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है. जब से लोगों को पता चला है कि चीन और कई देशों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो पिछले 2 दिनों में वैक्सीन लगवाने वालों का ग्राफ बढ़ रहा है.
दिल्ली में 21 दिसंबर तक वैक्सीनेशन की स्थिति
अबतक कुल 3 करोड़ 73 लाख 47 हजार 83 लोगों को टीका लग चुका है. इनमें पहला डोज पाने वालों की कुल संख्या 1 करोड़ 82 लाख 90 हजार 78 है. जबकि दूसरा डोज ले चुके लोगों की संख्या 1 करोड़ 57 लाख 3 हजार 928 है. वहीं 33 लाख 53 हजार 77 लोग प्रिकॉशन डोज यानी तीसरा डोज लगवा चुके हैं. दूसरा डोज और प्रिकॉशन डोज पाने वालों की कुल संख्या का आकलन करें तो दिल्ली में 21 दिसंबर तक 1 करोड़ 23 लाख 50 हजार 851 लोगों ने बूस्टर डोज़ नहीं लगवाया है. साथ ही अबतक 15 से 17 उम्र तक के 18 लाख 78 हजार 612 लोगों को टीका लग चुका है.
मंगलवार को मॉक ड्रिल की तैयारी
मंगलवार को अस्पतालों में होने वाली मॉक ड्रिल की तैयारी भी पूरी हो चुकी है. कोरोना से दोबारा लड़ने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी जा रही है. साथ ही अस्पताल में वैक्सीन, दवाइयां, वेंटिलेटर के स्टॉक और ऑक्सीजन सप्लाई चैन को चेक कर लिया गया है. इसलिए डर का माहौल नहीं होना चाहिए, ज़रूरी है कि लोग सतर्क रहें और कोरोना नियमों का पालन करें.
LNJP और ILBS अस्पताल में जीनोम सीक्वेंसिंग की लैब
साथ ही कोरोना वायरस सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग भी इस पूरे मामले में अहम हो जाती है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने निर्देश दिया है कि RTPCR पॉजिटिव पाए जाने वाले सभी सैंपल की 100% जीनोम सीक्वेंसिंग की जाएगी. एलएनजेपी अस्पताल की जीनोम सीक्वेंसिंग लैब इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारी कर रही है और आईएलबीएस अस्पताल में भी जीनोम सीक्वेंसिंग का एक बड़ा लैब है. इस लैब में सभी सैंपल का अध्ययन किया जाएगा कि कहीं सैंपल में कोई नया वेरिएंट तो नहीं मौजूद है. अब तक दिल्ली में XBB वेरिएंट ही पाया जा रहा है क्योंकि दिल्ली में कोरोना वायरस के ज़्यादा मामले दर्ज नहीं हो रहे हैं इसलिए बेहद कम जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट हो रहे हैं.
LNJP में 450 बेड कोरोना के लिए आरक्षित
एलएनजेपी अस्पताल ने फिलहाल 450 बेड को कोरोना वायरस के लिए आरक्षित किया है. इनमें से 50 बेड्स ICU के हैं. साथ ही, कोरोना संक्रमण से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पताल में अलग से लेबर रूम बनाया गया है और कोरोना से निपटने के लिए अलग से एक्सपर्ट डॉक्टर्स की मेडिकल टीम भी तैयार की गई है.
सर्दी-खांसी में एक्सपर्ट की सलाह
सर्दी के मौसम में खांसी हो जाना आम बात है, ऐसे में लोग कैसे सतर्क रहें? डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि अगर गले में दर्द है, सांस लेने में तकलीफ हो रही है, कफ है, शरीर में दर्द है और आपको लगता है कि यह परेशानी अचानक शुरू हुई है, तो कोरोना टेस्ट जरूर कराना चाहिए. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि डॉक्टर के परामर्श के बिना दवाई बिल्कुल ना लें. ऐसा पाया गया है कि लोगों ने सेल्फ मेडिकेशन किया, जिसकी वजह से ब्लैक फंगस के मामले भी सामने आए थे. एलएनजेपी अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीज जिनका सर्दी की वजह से गला खराब है, या जिन्हें टीबी की बीमारी है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है उनका कोरोना टेस्ट भी किया जा रहा है, अब तक जितने भी सैंपल की टेस्टिंग की गई है सभी नेगेटिव पाए गए हैं.