इंडिया टुडे की एक इन्वेस्टिगेशन में दिल्ली के पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेशन सिस्टम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का खुलासा होने के एक महीने बाद, आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली के चीफ सौरभ भारद्वाज ने मौजूदा सरकार पर ज़ोरदार हमला किया. उन्होंने इसे 'फर्जीवाड़े की सरकार' बताया और आरोप लगाया कि सरकार के नैरेटिव को बचाने के लिए डेटा और प्रोसेस में सिस्टमैटिक हेरफेर किया जा रहा है.
भारद्वाज ने दावा किया कि यह कथित धोखाधड़ी PUC सर्टिफिकेट से कहीं ज़्यादा फैली हुई है और यह डेटा में हेरफेर की गहरे रवैये को दर्शाती है.
उन्होंने कहा, "AQI डेटा में धोखाधड़ी से लेकर नकली यमुना तक, फर्जीवाड़ा हर लेवल पर दिख रहा है. यह समस्या किसी एक मामले की नहीं, बल्कि संस्थागत है."
'सरकार में ऊपर से नीचे तक यह मैसेज है...'
भारद्वाज के मुताबिक, प्रदूषण से जुड़े प्रतिबंधों को लागू करना ही भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था. उन्होंने कहा, "GRAP-IV प्रतिबंधों के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है. कम समय में जारी किए गए सर्टिफिकेट्स की भारी संख्या उनकी प्रामाणिकता पर गंभीर सवाल खड़े करती है. इतने कम समय में लाखों PUCC क्लियर करना प्रैक्टिकली संभव नहीं है."
गड़बड़ी का दावा करते हुए भारद्वाज ने कहा, "समस्या यह है कि सरकार में ऊपर से नीचे तक यह मैसेज है कि आप किसी भी डेटा में धोखाधड़ी करें और सरकार के नैरेटिव के मुताबिक काम करें और जो पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं, वे प्रैक्टिकली संभव नहीं हैं."
उन्होंने आगे कहा, "मान लीजिए कि आपको तीन दिनों में एक लाख कारों का PUC मिलता है. इसका मतलब है कि जो कार वहां गई, उसने आपको 100-500 रुपये की फीस दी, और आपने उसका PUC बनाकर दे दिया. नहीं तो, कम से कम आधी कारों को रिजेक्ट कर देना चाहिए था, और उन्हें बताना चाहिए था कि जब तक आप गाड़ियों की कुछ दिक्कतें ठीक नहीं करेंगे, तब तक PUC नहीं होगा."
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सौरभ भारद्वाज ने समय के साथ PUC नियमों को हल्के में लागू करने के पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "इतने सारे लोगों का PUC पेंडिंग क्यों था? PUC चेक करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के पास वैसे भी ट्रैफिक नियम हैं. इसका मतलब है कि जानबूझकर लापरवाही की गई. कुल मिलाकर, चाहे वह PUC का मामला हो, AQI का मामला हो, या यमुना का फर्जी मामला हो, हर जगह धोखाधड़ी हो रही है. GRAP-IV के नियमों के नाम पर सीधे तौर पर रिश्वतखोरी का खेल चल रहा है."
दिल्ली सरकार ने क्या कहा?
इन आरोपों पर जवाब देते हुए दिल्ली सरकार में मंत्री आशीष सूद ने कहा कि सरकार ने पहले ही गलत PUC सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है.
सूद ने बताया, "हमने 800 से ज़्यादा उन सेंटर्स की जांच शुरू कर दी है, जिन्होंने PUC सर्टिफिकेट जारी किए हैं. कुछ गड़बड़ियों के कारण उन्हें तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है. 7-8 दिनों के बाद, उन्हें निश्चित रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा और हटा दिया जाएगा. हम सख्ती करेंगे, नियम लागू करेंगे और जुर्माना लगाएंगे. मेरे पास कल की जानकारी है कि 12 PUC सर्टिफिकेट जारी करने वाले स्टेशनों को सस्पेंड कर दिया गया है."
इंडिया टुडे की इन्वेस्टिगेशन में क्या मिला था?
यह विवाद पिछले महीने इंडिया टुडे की एक अंडरकवर जांच के बाद सामने आया है, जिसमें पाया गया कि दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में बिना गाड़ी की ठीक से जांच किए PUC सर्टिफिकेट मिल रहे थे. रिपोर्टर्स ने दिखाया कि बिना इस्तेमाल की गई गाड़ियों को भी सर्टिफिकेट मिल सकते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहे शहर में एमिशन मॉनिटरिंग की विश्वसनीयता कम हो गई है.
राजनीतिक खींचतान के बीच, एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने बुधवार को ऐलान किया कि पिछले कुछ दिनों में हवा की क्वालिटी में काफी सुधार को देखते हुए, वह नेशनल कैपिटल रीजन और आस-पास के इलाकों में GRAP-IV प्रतिबंधों को हटा रहा है.
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