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जज पर पक्षपात के आधार पर केस दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने से पहले संबंधित न्यायाधीश की भी सुनें जिला जज!

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों द्वारा उनके समक्ष दायर स्थानांतरण आवेदनों से निपटने के दौरान पालन किए जाने वाले निर्देशों का एक सेट जारी किया. ये निर्देशिका प्रवर्तन निदेशालय बनाम अजय एस मित्तल मामले पर सुनवाई के बाद जारी हुई.

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Delhi High Court directs MCD, DDA to shut coaching centres violating fire norms
Delhi High Court directs MCD, DDA to shut coaching centres violating fire norms

दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी मुकदमे में पक्षकार किसी जज पर निष्पक्ष नहीं होने का आरोप लगाएं तो जिला जज को संबंधित जज का पक्ष सुने बिना सिर्फ पक्षपात के आरोपों के आधार पर मुकदमा ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी प्रधान जिला न्यायाधीशों को आदेश दिया है कि जब भी पक्षपात के आरोपों के आधार पर किसी मामले को दूसरे जज की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की जाए तो संबंधित न्यायाधीश से अनिवार्य रूप से टिप्पणियां आमंत्रित की जाएं.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों द्वारा उनके समक्ष दायर स्थानांतरण आवेदनों से निपटने के दौरान पालन किए जाने वाले निर्देशों का एक सेट जारी किया. ये निर्देशिका प्रवर्तन निदेशालय बनाम अजय एस मित्तल मामले पर सुनवाई के बाद जारी हुई.

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने आदेश दिया कि सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पक्षपात के आरोपों पर किसी भी मामले को तब तक किसी न्यायाधीश से स्थानांतरित नहीं किया जाए, जब तक कि संबंधित न्यायाधीश की टिप्पणियां अनिवार्य रूप से आमंत्रित न कर ली जाएं और उन पर विचार न कर लिया जाए.
इस संबंध में निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए.

जिस संबंधित न्यायाधीश से पक्षपात के आधार पर मामला स्थानांतरित करने की मांग की जा रही है, उसकी टिप्पणियां अनिवार्य रूप से ली जाएंगी. आवेदन पर निर्णय उक्त टिप्पणियों पर विचार करने के बाद तथा पक्षपात की वास्तविक आशंका के सिद्धांतों के प्रकाश में किया जाएगा. ऐसे आवेदनों पर निर्णय लेते समय विचाराधीन परिस्थितियों से संबंधित अन्य सिद्धांतों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

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पीठ ने ये निर्देश राउज एवेन्यू कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के उस आदेश को खारिज करते हुए दिए जिसमें भूषण स्टील मनी लॉन्ड्रिंग मामले को न्यायाधीश से स्थानांतरित कर दिया गया था. उन्होंने कथित तौर पर अदालत के कर्मचारियों से टिप्पणी की थी, 'ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मामलों में कौन सी बेल होती है? (ईडी मामलों में किसे जमानत मिलती है?).'

जस्टिस शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों और न्यायाधीश के बीच के रिश्ते को गोपनीय माना जाना चाहिए. इसे वादियों या वकीलों द्वारा जांच का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सम्मान और गोपनीयता की मांग करता है. अदालत ने कहा कि न्यायाधीश की टिप्पणी आरोपी अजय एस. मित्तल के प्रति पक्षपात और ईडी के प्रति किसी अनुचित पक्षपात की वास्तविक आशंका को नहीं दर्शाती है. पीठ ने आदेश दिया कि मामलों के स्थानांतरण के संबंध में जारी इन निर्णय और दिशानिर्देश की प्रति दिल्ली के सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को भेजी जाए.

अदालत ने आदेश दिया कि इसकी एक प्रति दिल्ली न्यायिक अकादमी के निदेशक (शैक्षणिक) को भी भेजी जाए ताकि इसकी विषय-वस्तु पर ध्यान देकर इसे दिल्ली के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के लिए आयोजित किए जाने वाले उचित कार्यक्रम में भी शामिल किया जा सके.

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