राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनाधिकृत रूप से संचालित पैथोलॉजी लैब से जुड़े मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मसले पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय और देने की मांग की. दिल्ली सरकार को अपने जवाब में यह बताना होगा कि उसके द्वारा कोरोना टेस्टिंग के लिए प्रयोग में लाई जा रही सभी लैब क्या मान्यता प्राप्त हैं या नहीं?
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय और दिया है. मामले की अगली सुनवाई अब 7 अप्रैल को होगी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से ये भी पूछा है कि दिल्ली में कितने मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता वाली लैब फिलहाल चल रही हैं. दिल्ली सरकार को आज इस मामले में अपना जवाब दाखिल करना था लेकिन उसने इस मामले में कोर्ट से कुछ और वक्त मांग लिया. हालांकि, याचिकाकर्ता ने इसका यह कहकर विरोध किया कि यह मामला लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है लिहाजा सरकार को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में सैकड़ों ऐसी ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब चल रही हैं जिनको क्लीनिकल एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं कराया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ऑनलाइन एग्रिगेटर्स को कोर्ट के आदेश के बावजूद रेग्युलेट नहीं करने पर दिल्ली सरकार और आईसीएमआर के खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने के मामले पर सुनवाई कर रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन की तरफ से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब क्लीनिकल एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं किए गए हैं और धड़ल्ले से इन ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब के जरिये खून या जांच के सैंपल लेना लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा है. कोरोना महामारी के दौरान भी अनरजिस्टर्ड ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब आम लोगों को खुलेआम कोरोना टेस्टिंग और हेल्थ चैकअप पैकेज के नाम पर मैसेज, ईमेल और विज्ञापन के माध्यम से ऑफर कर रहे हैं.
दरअसल, 6 अगस्त 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और आईसीएमआर को निर्देश दिया था कि गैर मान्यता प्राप्त ऑनलाइन लैब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. कोर्ट के आदेश के सात महीने बीत जाने के बाद भी दिल्ली सरकार की ओर से अनाधिकृत रूप से चल रही पैथोलॉजी लैब्स को बंद कराने के लिए कोई एक्शन नहीं लिया गया. ना ही अब तक ऑनलाइन एग्रीगेटर्स की ओर से चलाई जाने वाली पैथोलॉजिकल लैब्स को बंद करवाया गया. जब इस मामले में कोर्ट के आदेशों का पालन दिल्ली सरकार की ओर से नहीं किया गया तो पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन की तरफ से वकील शशांक सुधि ने दिल्ली हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका दाखिल कर दी जिस पर फिलहाल सुनवाई चल रही है.