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सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर रोक क्यों नहीं? दिल्ली HC ने याचिका खारिज करते हुए बताई ये वजह

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि अभी सभी वर्कर निर्माण स्थल पर हैं और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. इसलिए इस कोर्ट के पास कोई आधार नहीं है कि वो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को रोक दे.

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दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जारी है (फोटो-पीटीआई)
दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जारी है (फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक से HC का इनकार
  • 'अनुच्छेद 226 की शक्तियां इस्तेमाल करने का आधार नहीं'
  • कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर उठाए सवाल, 1 लाख का जुर्माना

दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को अहम और राष्ट्रीय महत्व का बताया. 

बता दें कि दिल्ली के लुटियंस जोन में बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में नया संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण शामिल है. इस अवासीय परिसर में प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई नए कार्यालय,  मंत्रालय के दफ्तर और केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है. इस प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी. 

दिल्ली में जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो भी इस प्रोजेक्ट का काम जारी था. इसे लेकर सवाल उठने लगे कि आखिर कोरोना काल में इस प्रोजेक्ट को इजाजत कैसे दी जा सकती है. जब यहां 400 से 500 मजदूर काम कर रहे हैं. 

याचिका में काम रोकने की थी मांग

इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए एक व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि अभी दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर पूरी तरह रोक है,तो इस प्रोजेक्ट का काम क्यों नहीं रोका गया. याचिका में कहा गया था कि 500 से ऊपर मजदूर वहां काम कर रहे है इससे वहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है. 

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नवंबर 2021 तक पूरा करना है काम

अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट मुहर लगा चुका है. अदालत ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का ठेका सप्रूजी पलोंजी ग्रुप को मिला है और इसका काम नवंबर 2021 तक पूरा होना है, इसलिए इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चलते रहना चाहिए. 

याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने इस याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल उठाए. अदालत ने कहा कि ये याचिका  "मोटिवेटेड" है और ये ईमानदार पीआईएल नहीं (Not a genuine PIL) है. 

राष्ट्रीय महत्व का है कार्य, नहीं रोका जा सकता है

याचिका द्वारा कोरोना संक्रमण फैलने का सवाल उठाने पर कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले ही कह चुकी है कि वर्कर 'साइट' पर रहे हैं. और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं. इसलिए इस प्रोजेक्ट का काम अभी रोका नहीं जा सकता है. अदालत ने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय महत्व का भी बताया और कहा कि इसे रोका नहीं जा सकता है.

अदालत ने कहा, "जिस दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के आदेश का जिक्र किया जा रहा है उसमें कहीं भी निर्माण कार्य रोकने की बात नहीं है. इस प्रोजेक्ट की वैधानिकता सुप्रीम कोर्ट में साबित हो चुकी है. इन्हें नवंबर 2021 तक काम पूरा करना है. इस ठेके में समय का बड़ा महत्व है, काम को हर हालत में पूरा करना है."

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बता दें कि 22 लाख वर्गफीट जमीन पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम चल रहा है. इस परियोजना में 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. गौरतलब है कि दिल्ली में आज से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है इसलिए तहत फैक्ट्रियां और उद्योग कोरोना प्रोटोकॉल के साथ  खुल रहे हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि अभी सभी वर्कर निर्माण स्थल पर हैं और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. इसलिए इस कोर्ट के पास कोई आधार नहीं है कि वो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को रोक दे. 

 

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