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दिल्ली: निजी अस्पतालों के ICU बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व करने के मामले में सुनवाई 12 जनवरी तक टली

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार 12 जनवरी को इस मामले में या तो अपना पक्ष सामने रखे नहीं तो कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना देगा.

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अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी.
अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के न आने से सुनवाई टली
  • दिल्ली के 33 निजी अस्पतालों के 80 फीसदी ICU बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व हैं

दिल्ली हाई कोर्ट में निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू बेड आरक्षित रखे जाने के मुद्दे पर अब सुनवाई 12 जनवरी तक के लिए टल गई है. दरअसल आज जैसे ही इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, दिल्ली सरकार की तरफ से इस मामले में पेश होने वाले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन नहीं आ सके. उनके जूनियर वकील ने बताया कि वे फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में किसी दूसरे मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं, इसलिए इस मामले में अगली तारीख दे दी जाए.

हालांकि दिल्ली सरकार की तरफ से अगली तारीख मांगे जाने का याचिकाकर्ता ने विरोध किया और कहा कि दिल्ली सरकार का इस मामले में कुछ भी दांव पर नहीं लगा हुआ है, लेकिन प्राइवेट अस्पताल हर रोज दिल्ली सरकार के आईसीयू बेड को रिजर्व करने के नोटिफिकेशन के बाद से आर्थिक नुकसान झेलने को मजबूर है, जबकि सरकारी अस्पतालों में 2300 आईसीयू बेड खाली पड़े हैं.

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याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार 12 जनवरी को इस मामले में या तो अपना पक्ष सामने रखें नहीं तो कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना देगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा है कि 12 जनवरी को होने वाली सुनवाई में वो सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों के आईसीयू बेड से जुड़े हुए तमाम डाटा को कोर्ट के सामने रखें.

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राजधानी दिल्ली के 33 प्राइवेट अस्पतालों के 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड आरक्षित करने से जुड़े मामले की दिसंबर में हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि वो प्राइवेट अस्पतालों के 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड, जो कोविड मरीजों के लिए रिज़र्व किये गए थे,उनको 80 फ़ीसदी से घटाकर 60 फ़ीसदी करने को तैयार है.

प्राइवेट अस्पतालों के एसोसिएशन की तरफ से लगाई गई इस याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने अपने नोटिफिकेशन के माध्यम से 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड कोविड मरीजों के लिए रिजर्व कर दिए, लेकिन आर्थिक तौर पर इन प्राइवेट अस्पतालों को दिल्ली सरकार के द्वारा कुछ भी नहीं दिया जा रहा है, जो सीधे तौर पर उनके व्यवसाय और आर्थिक हितों की अनदेखी है.

इससे पहले एम्स के डायरेक्टर और नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने इस बात की सिफारिश की है कि 15 जनवरी तक स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है. क्योंकि उस दौरान नया साल भी निकल चुका होगा और यूके से आए नए कोविड का भी मूल्यांकन किया जा सकेगा. यानी नए साल के जश्न मनाने वाले या शादियों को अटेंड करने के दौरान कोविड मरीजों की संख्या में अगर कोई बढ़ोतरी होती है, तो उसके लिए 15 जनवरी तक बैठक करके हालात की समीक्षा की जा सकती है जिससे यह साफ हो सके कि क्या आगे भी इन 33 प्राइवेट अस्पतालों के 60 फ़ीसदी आईसीयू बेड कोविड मरीजों के लिए रिज़र्व करने की जरूरत है या नहीं.

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