दिल्ली हाईकोर्ट ने आज (मंगलवार को) एक 5 सदस्य कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर हाल ही में कानून में हुए संशोधन पर अपनी रिपोर्ट देगी.
इस कमेटी को दिल्ली हाईकोर्ट को यह बताना होगा कि सरकार के द्वारा किए गए संशोधन समाज के लिए ठीक हैं या नहीं. क्या 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने में यह संशोधन रक्षा कवच बन सकते हैं या नहीं?
दिल्ली हाईकोर्ट ने गठित की गई इस कमेटी में प्रोफेसर अपर्णा चंद्रा और एडवोकेट चारू वली खन्ना को शामिल किया है. इस कमेटी को हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाओं में शामिल लोगों को फांसी की सजा देना सही कदम है या नहीं. बता दें कि सरकार ने हाल ही में कानून में संशोधन करते हुए 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वाले को फांसी की सजा को मंजूरी दी है.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसमें कहा गया था कि उन्नाव और कठुआ की घटना से पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई थी और उसी को दबाने के लिए जल्दबाजी में सरकार में बिना किसी सर्वे और रिसर्च के कानून में संशोधन कर दिया है, जिसका कोई फायदा इस तरह की घटनाओं को रोकने में नहीं होगा. दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को करेगा.
हाल ही में सरकार के द्वारा किए गए संशोधन को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया रही है. कुछ लोगों का कहना है कि ये स्थिति बदलने वाली नहीं है, जबकि कुछ का मानना था कि इस तरह के सख्त कानूनों की मदद से ही छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं रोकने में मदद मिल सकती है. ऐसे में अब ये देखना होगा कि हाईकोर्ट की बनाई कमेटी अपनी क्या रिपोर्ट देती है और सरकार के किए गए संशोधन पर कमेटी की क्या राय है.