दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में चलने वाली बसों के अनफिट ड्राइवर्स पर डीटीसी को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें बसों को चलाने वाले कुछ अनफिट और बीमारी के शिकार ड्राइवरों को हटाने की मांग की गई है.
हाई कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीटीसी को छह हफ्ते का समय दिया गया. डीटीसी को बताना है कि उसके पास कितने वैलिड और नॉन वैलिड ड्राईवर हैं. इसके तहत डीटीसी को बताना होगा कि कितने ड्राइवर्स ऐसे हैं, जो बसों को चलाने की योग्यता नहीं रखते.
रिश्वत लेकर नौकरी पर रखने का आरोप
कोर्ट ने डीटीसी को फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर उसने ऐसे ड्राइवर्स को रखा हुआ है, जो अपने साथ-साथ यात्रियों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे होते हैं. दरअसल, एक आरटीआई से मिली सूचना के मुताबिक, डीटीसी में कुछ ऐसे ड्राइवर्स की नियुक्ति हुई है जो बस चलाने के काबिल नहीं हैं. वो मेडिकल टेस्ट मे भी फेल हो गए थे, लेकिन रिश्वत लेकर उनको नौकरी पर रख लिया गया.
डीटीसी बसों से 10 साल में 787 मौतें
डीटीसी की बसों से पिछले 10 साल में 787 लोगों की मौत हुई. यानी हर महीने करीब 7 लोग डीटीसी बसों की वजह से जान गंवाते हैं. बसों के हादसों में 2,678 लोग घायल हुए हैं. मार्च 2013 से अप्रैल 2014 के बीच हादसों में 63 लोगों को डीटीसी बसों ने कुचल दिया और 184 लोगों को जख्मी कर दिया.
19 अक्टूबर को अगली सुनवाई
आंकड़ें गवाही दे रहे हैं कि डीटीसी बसों में सफर करने वालों की सेफ्टी जिन ड्राइवर्स पर निर्भर है, वो पूरी तरह अनफिट हैं. डीटीसी में लापरवाही का आलम यह है कि मैनेजमेंट को खुद यह नहीं पता कि बसें चला रहे कितने ड्राइवरों को देखने में किसी तरह की दिक्कत है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 19 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है.